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दिनदहाड़े हरे पेड़ की बलि! कोरिया वन मंडल कार्यालय परिसर में नीम की कटाई पर उठे सवाल


बैकुण्ठपुर। पर्यावरण संरक्षण और हरियाली की रक्षा की जिम्मेदारी जिस वन विभाग पर है, वही विभाग अब सवालों के घेरे में आ गया है। कोरिया वन मंडल कार्यालय परिसर के भीतर एक हरे-भरे नीम के पेड़ की दिनदहाड़े कटाई किए जाने का मामला सामने आया है। इस घटना ने न सिर्फ पर्यावरण प्रेमियों को चिंतित किया है, बल्कि आम नागरिकों के मन में भी कई गंभीर सवाल खड़े कर दिए हैं। सबसे बड़ा प्रश्न यह है कि क्या शहर की सीमा के भीतर, वह भी डीएफओ कार्यालय के परिसर में लगे हरे पेड़ को काटने के लिए किसी प्रकार की वैधानिक अनुमति की आवश्यकता नहीं होती? सामान्य नागरिक यदि अपने निजी भूखंड में भी हरे पेड़ की कटाई करता है तो उसे अनुमति, आवेदन और नियमों की लंबी प्रक्रिया से गुजरना पड़ता है। ऐसे में स्वयं वन विभाग द्वारा अपने परिसर में नियमों की अनदेखी करना विभागीय कार्यप्रणाली पर प्रश्नचिन्ह लगाता है। दिन-दहाड़े, खुलेआम हरे पेड़ की बलि दी जा रही है और कोई जवाबदेही तय नहीं की जा रही। इससे यह संदेश जाता है कि क्या कानून और नियम सभी के लिए समान नहीं हैं? क्या विभागों के लिए नियम अलग और आम जनता के लिए अलग हैं? यदि यही स्थिति रही, तो फिर आम नागरिकों से पर्यावरण संरक्षण और नियमों के पालन की अपेक्षा कैसे की जा सकती है। पर्यावरण विशेषज्ञों का मानना है कि एक परिपक्व नीम का पेड़ केवल छाया ही नहीं देता, बल्कि शुद्ध हवा, जैव विविधता और पारिस्थितिक संतुलन में भी महत्वपूर्ण भूमिका निभाता है। ऐसे पेड़ों की कटाई पर्यावरण के लिए गंभीर नुकसान है। यह मामला केवल एक पेड़ की कटाई का नहीं, बल्कि वन विभाग की सोच, जिम्मेदारी और जवाबदेही का है। यदि पेड़ इसी तरह कटते रहे, तो हरियाली और पर्यावरण संरक्षण के दावे सिर्फ कागजों तक सीमित रह जाएंगे। अब जरूरत है कि इस मामले में स्पष्ट जवाब और कार्रवाई सामने आए, ताकि कानून की समानता और पर्यावरण की रक्षा सुनिश्चित हो सके।

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