Ticker

6/recent/ticker-posts

आदिवासी विकास विभाग से शासकीय दस्तावेज बाहर जाने का आरोप, नियमों के उल्लंघन पर उठे सवाल - सुत्र


कोरिया। जिले के सहायक आयुक्त आदिवासी विकास विभाग से शासकीय दस्तावेजों के बाहर जाने का गंभीर मामला सामने आया है। सूत्रों के अनुसार विभाग में पदस्थ दय साहु द्वारा लगातार शासकीय अभिलेखों को कार्यालय परिसर से बाहर ले जाया जा रहा है, जो कि शासकीय नियमों के स्पष्ट उल्लंघन की श्रेणी में आता है। इस घटनाक्रम के सामने आने के बाद विभागीय कार्यप्रणाली और दस्तावेजों की सुरक्षा व्यवस्था पर सवाल खड़े हो गए हैं। सूत्रों का कहना है कि संबंधित दस्तावेज न तो सूचना का अधिकार अधिनियम, 2005 (RTI Act) के तहत मांगे गए हैं और न ही विधिवत नकल (प्रमाणित प्रतिलिपि) के माध्यम से जारी किए गए हैं। इसके बावजूद महत्वपूर्ण शासकीय अभिलेखों का कार्यालय से बाहर जाना गंभीर अनियमितता को दर्शाता है। शासकीय दस्तावेज केवल अधिकृत प्रक्रिया के तहत ही कार्यालय से बाहर जा सकते हैं, अन्यथा यह गोपनीयता और रिकॉर्ड संरक्षण नियमों का उल्लंघन माना जाता है। विशेषज्ञों के अनुसार, छत्तीसगढ़ सिविल सेवा (आचरण) नियम, 1965 के नियम 3 के तहत कोई भी शासकीय सेवक अपने पद का दुरुपयोग नहीं कर सकता और न ही शासकीय संपत्ति अथवा अभिलेखों का अनाधिकृत उपयोग कर सकता है। वहीं भारतीय दंड संहिता (IPC) की धारा 409 (आपराधिक न्यासभंग) और धारा 468/471 (कूटरचना व कूटरचित दस्तावेज का उपयोग) जैसे प्रावधान भी लागू हो सकते हैं, यदि दस्तावेजों के दुरुपयोग या छेड़छाड़ की पुष्टि होती है। इसके अतिरिक्त, सूचना का अधिकार अधिनियम, 2005 की धारा 6 और 7 के तहत स्पष्ट प्रावधान है कि शासकीय सूचना केवल निर्धारित प्रक्रिया के माध्यम से ही उपलब्ध कराई जा सकती है। बिना RTI आवेदन या नकल के दस्तावेज देना या बाहर ले जाना नियमविरुद्ध है। अब सबसे बड़ा सवाल यह है कि क्या जिला प्रशासन और संबंधित उच्च अधिकारी इस मामले को गंभीरता से लेते हुए जांच और आवश्यक कार्यवाही करेंगे, या फिर यह मामला भी फाइलों में दबकर रह जाएगा। जिले में इस विषय को लेकर चर्चाओं का दौर तेज हो गया है और लोग प्रशासनिक जवाबदेही की अपेक्षा कर रहे हैं।

एक टिप्पणी भेजें

0 टिप्पणियाँ