जिला जर्नलिस्ट प्रेस क्लब कोरिया में उठा गंभीर विवाद
कोरिया। जिला जर्नलिस्ट प्रेस क्लब कोरिया के भवन में हाल ही में आयोजित एक शोक सभा अब विवाद का कारण बन गई है। आरोप है कि क्लब के पूर्व अध्यक्ष ने एक पत्रकार के निधन के पश्चात प्रेमाबाग स्थित प्रेस भवन, बैकुण्ठपुर में आयोजित शोक सभा के दौरान नियम-कायदों को ताक पर रखकर अध्यक्ष सहित अन्य पदाधिकारियों का मनोनयन कर दिया। यह पूरी प्रक्रिया न केवल संगठन के संविधान के विपरीत बताई जा रही है, बल्कि इसे नैतिकता के भी खिलाफ माना जा रहा है। प्रेस क्लब से जुड़े कई सदस्यों का कहना है कि शोक सभा का उद्देश्य केवल दिवंगत आत्मा को श्रद्धांजलि देना होता है। ऐसे संवेदनशील अवसर पर किसी भी प्रकार की प्रशासनिक, निर्वाचन या मनोनयन संबंधी कार्यवाही करना “दूध का जला छाछ भी फूंक-फूंक कर पीता है” वाली कहावत के उलट है। आरोप है कि पूर्व अध्यक्ष ने बिना आमसभा बुलाए, बिना निर्धारित निर्वाचन प्रक्रिया अपनाए और बिना सदस्यों की सहमति के नए पदाधिकारियों की घोषणा कर दी, जो पूरी तरह नियमविरुद्ध है। मामले को लेकर विधिवत शिकायत संभागीय मुख्यालय अंबिकापुर में की गई है। शिकायत में प्रेस क्लब के संविधान का हवाला देते हुए कहा गया है कि धारा 7 एवं 11 के अंतर्गत अध्यक्ष व अन्य पदाधिकारियों का चयन केवल निर्धारित आमसभा और वैध निर्वाचन प्रक्रिया के माध्यम से ही किया जा सकता है। वहीं धारा 15 के अनुसार शोक सभा को गैर-कार्यकारी बैठक माना गया है, जिसमें किसी भी प्रकार का संगठनात्मक या नीतिगत निर्णय मान्य नहीं होता। कानूनी जानकारों का कहना है कि सोसायटी पंजीयन अधिनियम 1860 के तहत पंजीकृत किसी भी संस्था में पदाधिकारियों की नियुक्ति के लिए पारदर्शी प्रक्रिया, कोरम की पूर्ति और बैठक की पूर्व सूचना अनिवार्य होती है। इन शर्तों के उल्लंघन की स्थिति में ऐसे मनोनयन स्वतः शून्य माने जाते हैं। फिलहाल, यह मामला पत्रकार संगठनों में चर्चा का विषय बना हुआ है। अब देखना यह है कि प्रशासन और संबंधित प्राधिकरण इस पर क्या रुख अपनाते हैं। “नियम से चले तो संगठन, वरना बिखरने में देर नहीं लगती” — यही भावना अब सदस्यों के बीच गूंज रही है।

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