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पीडब्ल्यूडी के शासकीय भवनों व भूमि पर अवैध कब्जा, नियमों की खुलेआम अनदेखी


बैकुण्ठपुर। लोक निर्माण विभाग (पीडब्ल्यूडी) के अंतर्गत आने वाले कई शासकीय आवास व भवनों पर वर्षों से अवैध कब्जा बना हुआ है। हैरानी की बात यह है कि इन भवनों में विभागीय कर्मचारियों के बजाय बाहरी लोग निवास कर रहे हैं, जबकि जिले के अनेक शासकीय कर्मचारियों को आज भी आवास उपलब्ध नहीं हो पा रहा है। इसका मुख्य कारण शासकीय भवनों व भूमि पर अनाधिकृत कब्जा और विभागीय स्तर पर बरती जा रही सुस्ती बताई जा रही है।

सूत्रों के अनुसार कुछ मामलों में प्रभावशाली लोगों द्वारा पद का दुरुपयोग करते हुए न केवल शासकीय भवनों पर कब्जा किया गया, बल्कि शासकीय भूमि पर फर्जी दस्तावेज तैयार कर उसे अपने नाम दर्ज भी करा लिया गया। जब इन मामलों पर सवाल उठाए जाते हैं तो संबंधित लोग “नया निर्माण नहीं, केवल मरम्मत” का तर्क देकर बचने की कोशिश करते हैं, जबकि वास्तविकता में भवन का स्वरूप बदल दिया गया है।

नियमों का उल्लंघन और कानूनी प्रावधान

छत्तीसगढ़ भूमि राजस्व संहिता, 1959 की धारा 248 के अंतर्गत शासकीय भूमि पर अनाधिकृत कब्जा दंडनीय अपराध है। इस धारा के तहत कब्जाधारी को बेदखल करने के साथ-साथ अर्थदंड का भी प्रावधान है। वहीं, भारतीय दंड संहिता (IPC) की धारा 420 (धोखाधड़ी), 467 (कीमती दस्तावेज की कूटरचना), 468 (धोखाधड़ी के उद्देश्य से जालसाजी) और 471 (फर्जी दस्तावेज को असली के रूप में उपयोग करना) के तहत फर्जी दस्तावेज तैयार कर शासकीय संपत्ति अपने नाम कराना गंभीर अपराध की श्रेणी में आता है।

इसके अतिरिक्त, छत्तीसगढ़ शासकीय आवास आवंटन नियमों के अनुसार, शासकीय आवास केवल पात्र अधिकारी या कर्मचारी को ही निर्धारित अवधि व शर्तों पर आवंटित किए जा सकते हैं। आवंटन समाप्त होने के बाद भवन खाली न करने पर जुर्माना और जबरन बेदखली का प्रावधान है।

विभागीय चुप्पी पर सवाल

सबसे बड़ा सवाल यह है कि इतने स्पष्ट नियमों के बावजूद पीडब्ल्यूडी और राजस्व विभाग द्वारा प्रभावी कार्रवाई क्यों नहीं की जा रही है। जानकारों का कहना है कि यदि समय रहते जांच कर अवैध कब्जों को हटाया जाए तो बड़ी संख्या में शासकीय कर्मचारियों को आवास सुविधा मिल सकती है।

अब आवश्यकता है कि जिला प्रशासन संयुक्त जांच दल गठित कर शासकीय भवनों व भूमि का भौतिक सत्यापन कराए, फर्जी दस्तावेजों के आधार पर किए गए नामांतरण निरस्त करे और दोषियों के खिलाफ कठोर कानूनी कार्रवाई सुनिश्चित करे। तभी शासकीय संपत्ति की सुरक्षा और नियमों का वास्तविक पालन संभव हो पाएगा।

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