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जामपारा समिति में फिर से तैनाती पर सवाल, 20 करोड़ के कथित घोटाले के आरोपी दिपेश साहू को किसका संरक्षण?


बैकुण्ठपुर। जिला कोरिया अंतर्गत जामपारा समिति में दिपेश साहू की पुनः तैनाती को लेकर एक बार फिर गंभीर सवाल खड़े हो गए हैं। बताया जा रहा है कि दिपेश साहू पर पड़ोसी जिले सूरजपुर में लगभग 20 करोड़ रुपये के कथित घोटाले का आरोप है। इसके बावजूद उन्हें जामपारा समिति में दोबारा जिम्मेदारी सौंपे जाने से न केवल प्रशासनिक कार्यप्रणाली पर प्रश्नचिह्न लगा है, बल्कि शासन के नियमों की भी अनदेखी सामने आ रही है। इस मामले को लेकर शिकायतकर्ता द्वारा कलेक्टर कार्यालय में लिखित शिकायत दर्ज कराई गई थी। शिकायत की गंभीरता को देखते हुए कलेक्टर कार्यालय की ओर से जांच के लिए संबंधित विभाग को नोटिस जारी किया गया है। नोटिस जारी होने के बाद भी अब तक न तो ठोस जांच शुरू हो पाई है और न ही आरोपी अधिकारी-कर्मचारी के विरुद्ध कोई अंतरिम कार्रवाई की गई है। इससे यह आशंका गहराती जा रही है कि मामले को जानबूझकर ठंडे बस्ते में डालने का प्रयास किया जा रहा है। शासन के नियमों के अनुसार, किसी भी ऐसे व्यक्ति पर यदि गंभीर वित्तीय अनियमितता या घोटाले का आरोप हो और प्रकरण जांचाधीन हो, तो उसे संवेदनशील पद पर पदस्थ नहीं किया जा सकता। इसके बावजूद दिपेश साहू को समिति जैसे महत्वपूर्ण आर्थिक लेन-देन वाले संस्थान में बनाए रखना नियमों के प्रतिकूल माना जा रहा है। स्थानीय जनप्रतिनिधियों और ग्रामीणों में भी इसको लेकर आक्रोश है। उनका कहना है कि यदि आरोप सही हैं तो इतनी बड़ी राशि के घोटाले के आरोपी को संरक्षण देना सीधे-सीधे शासन की छवि को नुकसान पहुंचाने वाला है। वहीं, यदि आरोप गलत हैं तो निष्पक्ष और समयबद्ध जांच कर स्थिति स्पष्ट की जानी चाहिए।
अब सबसे बड़ा सवाल यह है कि आखिर किसके इशारे पर और किसके संरक्षण में दिपेश साहू को बचाने का प्रयास किया जा रहा है। कलेक्टर कार्यालय द्वारा जारी नोटिस के बाद भी विभागीय सुस्ती कई संदेहों को जन्म दे रही है। जनता की नजर अब इस बात पर टिकी है कि प्रशासन निष्पक्ष कार्रवाई करता है या फिर यह मामला भी फाइलों में दबकर रह जाएगा।

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