कोरिया। जिले के जिला चिकित्सालय परिसर में वयोवृद्ध चिकित्सा इकाई का बुधवार को विधिवत उद्घाटन किया गया। नया कक्ष भीतर से बेहद आकर्षक और आधुनिक सुविधाओं से लैस है, लेकिन इसके उद्घाटन कार्यक्रम में विधायक प्रतिनिधियों को आमंत्रित नहीं किया गया। इसी बात को लेकर प्रतिनिधियों ने नाराजगी जताते हुए विरोध दर्ज कराया है। उनका कहना है कि वे हमेशा सेवा भाव से मरीजों का सहयोग करते आए हैं, लेकिन जिला चिकित्सालय जैसे महत्वपूर्ण आयोजन से उन्हें दूर रखना चिंता का विषय है।
विधायक प्रतिनिधियों का आरोप है कि जिला प्रशासन और अस्पताल प्रबंधन मनमानी रवैया अपना रहा है। उन्होंने कहा कि अस्पताल प्रबंधन को चाहिए था कि जनप्रतिनिधियों या उनके प्रतिनिधियों को आमंत्रित कर सहयोगात्मक माहौल बनाया जाता, जिससे आम लोगों तक सकारात्मक संदेश जाता। वहीं सूत्रों के अनुसार, वयोवृद्ध चिकित्सा कक्ष का निर्माण भी नियम विरुद्ध तरीके से किया गया है। बताया जा रहा है कि इसका ठेका टीबी शाखा के एक कर्मचारी के माध्यम से कराया गया, जबकि नियमों के तहत यह कार्य संबंधित अधिकृत एजेंसी के माध्यम से होना चाहिए था। यही नहीं, जिला चिकित्सालय में एनएचएम, जीवन दीप समिति, डीएमएफ और स्टोर विभाग के कई कर्मचारी अपने मूल कार्यों को छोड़कर ठेकेदारी और निर्माण कार्यों में लगे हुए हैं। आरोप है कि इन्हें अस्पताल प्रबंधन और कुछ अधिकारियों का खुला संरक्षण प्राप्त है। स्थिति इतनी गंभीर है कि कई कर्मचारी अस्पताल में बिना काम किए ही नियमित वेतन ले रहे हैं। वहीं, कुछ रसूखदार कर्मचारियों का वर्षों से शिफ्ट तक नहीं बदला गया है, जबकि जिनके पास पहुंच नहीं है, उनसे पूरा काम कराया जाता है। यह दोहरा मापदंड अस्पताल प्रबंधन की कार्यशैली पर सवाल खड़े करता है। सूत्रों के मुताबिक, स्वास्थ्य विभाग के कई कर्मचारी अब भी जिला स्वास्थ्य कार्यालय में संलग्न हैं, जबकि राज्य सरकार ने 5 जून 2025 से संलग्नीकरण आदेश स्वतः समाप्त करने का फरमान जारी किया है। इसके बावजूद जिला चिकित्सालय और स्वास्थ्य विभाग में इस आदेश का पालन नहीं किया जा रहा है। जानकारों का कहना है कि एक ओर कुछ कर्मचारी अधिकारियों की छत्रछाया में ठेकेदारी कर लाभ कमा रहे हैं, तो दूसरी ओर कुछ लोग बिना काम के सिर्फ वेतन उठा रहे हैं। वहीं, ईमानदारी से काम करने वाले कर्मचारियों पर दोहरा बोझ डाला जा रहा है। इससे अस्पताल की व्यवस्थाओं पर नकारात्मक असर पड़ रहा है। जनप्रतिनिधियों का कहना है कि यदि अस्पताल प्रबंधन इस तरह पक्षपातपूर्ण रवैया अपनाता रहा, तो मरीजों की सेवा भावना पर भी आंच आएगी। अब देखना होगा कि जिला प्रशासन और स्वास्थ्य विभाग इन आरोपों पर क्या कदम उठाता है।
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