कोरिया। कोरिया जिले में यातायात विभाग की कार्यप्रणाली पर लगातार सवाल खड़े हो रहे हैं। विभाग हर माह लाखों रुपए खर्च कर लोगों को जागरूक करने का दावा करता है, लेकिन हकीकत यह है कि लोग न तो हेलमेट पहन रहे हैं, न ही तीन सवारी से बच रहे हैं। शहर की सड़कों पर खुलेआम नियम तोड़े जा रहे हैं और विभाग के जिम्मेदार अधिकारी-कर्मचारी तमाशबीन बने हुए हैं।
यातायात नियमों के अंतर्गत मोटर वाहन अधिनियम, 1988 (संशोधित अधिनियम 2019) की धारा 129 के तहत दोपहिया वाहन चलाते समय हेलमेट पहनना अनिवार्य है। वहीं धारा 128 के अनुसार, मोटरसाइकिल पर केवल दो व्यक्तियों को बैठने की अनुमति है, तीसरी सवारी वर्जित है। इसके बावजूद बैकुंठपुर की सड़कों पर रोजाना तीन-तीन लोग मोटरसाइकिल पर सवार होकर सफर करते देखे जा सकते हैं। इसी प्रकार, अधिनियम की धारा 177 के अनुसार बिना फिटनेस वाले वाहनों का संचालन अवैध है, लेकिन शहर में कई वाहन ऐसे हैं जिनकी फिटनेस समाप्त हो चुकी है। कई चारपहिया वाहन मालिकों द्वारा ब्लैक फिल्म का प्रयोग किया जा रहा है, जो मोटर वाहन अधिनियम की धारा 100 के तहत पूरी तरह प्रतिबंधित है। इसके बावजूद यातायात विभाग द्वारा कार्रवाई करने की बजाय इन्हें नजरअंदाज किया जा रहा है।
केवल गरीबों पर कार्रवाई का आरोप
स्थानीय लोगों का आरोप है कि यातायात विभाग केवल गरीब और सामान्य नागरिकों पर चालानी कार्रवाई करता है, जबकि रसूखदार वाहन मालिकों पर कोई कार्रवाई नहीं की जाती। यही कारण है कि बिना नंबर प्लेट के वाहन, तेज रफ्तार में दौड़ते बाइक और चारपहिया वाहन शहर की सड़कों पर आम दृश्य बन गए हैं। यातायात विभाग में राष्ट्रपति पुरस्कार से सम्मानित कर्मचारी भी पदस्थ हैं, लेकिन लोगों को जागरूक करने में नाकाम साबित हो रहे हैं। हर वर्ष ‘यातायात सप्ताह’ मनाया जाता है, जिसमें नियमों के पालन का संदेश दिया जाता है, मगर उसका असर सिर्फ एक-दो दिन तक ही दिखता है।
नाबालिगों की स्टंटबाजी बनी खतरा
शहर की सड़कों पर नाबालिग युवाओं द्वारा दोपहिया वाहनों से स्टंट करना आम बात हो गई है। यह न केवल उनकी जान के लिए खतरा है बल्कि राहगीरों की सुरक्षा पर भी प्रश्नचिह्न खड़ा करता है। मोटर वाहन अधिनियम की धारा 199 के अनुसार, नाबालिग द्वारा वाहन चलाने पर उसके अभिभावक या वाहन मालिक को दंडित किया जाना चाहिए। इसके बावजूद बैकुंठपुर में इस तरह की घटनाओं पर कोई कड़ी कार्रवाई नहीं हो रही है।
अधिकारी की मौजूदगी पर टिका है नियम पालन
स्थानीय लोगों का कहना है कि जब तक यातायात विभाग में डीएसपी रैंक का अधिकारी मौजूद नहीं रहता, तब तक ठोस चालानी कार्रवाई नहीं होती। फिलहाल कोरिया जिले में एएसआई रैंक के अधिकारी ही यातायात का जिम्मा संभाल रहे हैं, जो बड़े स्तर पर कार्रवाई करने से बचते हैं। यही कारण है कि नियमों का उल्लंघन लगातार जारी है।
सुधार की जरूरत
यातायात विशेषज्ञों का मानना है कि सड़क हादसों को रोकने के लिए सख्ती जरूरी है। धारा 184 (खतरनाक ड्राइविंग), धारा 185 (शराब पीकर गाड़ी चलाना), धारा 194 (ओवरलोडिंग) और धारा 198 (बिना बीमा गाड़ी चलाना) जैसे प्रावधानों को कठोरता से लागू किए बिना सड़क सुरक्षा सुनिश्चित नहीं की जा सकती। यातायात विभाग को चाहिए कि वह केवल जागरूकता अभियानों तक सीमित न रहकर वास्तविक कार्रवाई करे। नाबालिगों और रसूखदार वाहन मालिकों पर भी सख्त कदम उठाए जाएं। तभी लोगों में यह संदेश जाएगा कि कानून सबके लिए समान है और सड़क सुरक्षा के साथ कोई समझौता नहीं किया जाएगा। यह स्पष्ट है कि कोरिया जिले का यातायात विभाग फिलहाल दोहरी नीति पर काम कर रहा है। सवाल यह है कि क्या यह विभाग केवल गरीबों पर कार्रवाई करने के लिए बना है या फिर वास्तव में सड़क सुरक्षा सुनिश्चित करने के लिए? इसका जवाब विभाग के जिम्मेदार अधिकारियों को देना होगा।
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