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बैकुण्ठपुर में हादसा: घायल युवक की मदद के लिए ‘फरिश्ता’ बने पूर्व उपसरपंच, यातायात विभाग पर उठे सवाल

 


कोरिया। जिले में सड़क हादसों का सिलसिला थमने का नाम नहीं ले रहा है। सोमवार को स्कूलपारा दुर्गा पंडाल के पास एक स्कूटी सवार युवक दुर्घटना का शिकार होकर गंभीर रूप से घायल हो गया। प्राप्त जानकारी के अनुसार युवक बाजार से उड़की नाका की ओर जा रहा था, तभी सामने से आ रहे भारी वाहन और पंडाल क्षेत्र में भीड़ के बीच उसकी स्कूटी अनियंत्रित होकर फिसल गई। हादसे में उसके पैर में गंभीर चोट आई और वह सड़क पर तड़पता रहा।


प्रत्यक्षदर्शियों के अनुसार मौके पर बड़ी संख्या में लोग मौजूद थे, परंतु मदद के लिए कोई सामने नहीं आया। लोग घायल को देखकर आगे बढ़ते रहे। इसी दौरान ग्राम पंचायत रामपुर के पूर्व उपसरपंच याकूत अपने साथियों के साथ वहां से गुजर रहे थे। उन्होंने मानवता की मिसाल पेश करते हुए बिना समय गंवाए घायल युवक को अपनी स्कूटी से जिला चिकित्सालय पहुँचाया, जहाँ उसका इलाज जारी है। स्थानीय लोगों ने भी याकूत की सराहना की। बताया जाता है कि यह पहली बार नहीं है, वे कई बार जरूरतमंदों की मदद कर चुके हैं।


लेकिन इस घटना ने एक बार फिर यातायात व्यवस्था पर गंभीर सवाल खड़े कर दिए हैं। शहर और आसपास के क्षेत्रों में आए दिन दुर्घटनाएं हो रही हैं, बावजूद इसके यातायात विभाग की कार्यप्रणाली संदेह के घेरे में है। प्रतिदिन चालानी कार्रवाई का दावा करने के बावजूद सवारी वाहन और ऑटो चालक खुलेआम नियमों की धज्जियां उड़ा रहे हैं। सबसे गंभीर स्थिति यह है कि यात्री बसें और ऑटो बीच सड़क पर रोककर सवारी बिठाते हैं, जिससे न केवल जाम की स्थिति बनती है बल्कि दुर्घटनाओं की आशंका भी कई गुना बढ़ जाती है। विशेषज्ञों का कहना है कि मोटरयान अधिनियम, 1988 की धारा 122 (अनियंत्रित या लापरवाह वाहन रोकना) और धारा 177 (सामान्य अपराधों के लिए दंड) के तहत सड़क के बीच वाहन रोककर सवारी बैठाना दंडनीय अपराध है। इसके बावजूद कोरिया जिले में यह आम दृश्य बन चुका है। ऐसा भी कहा जाता है कि बस व ऑटो चालकों और यातायात अमले के बीच आपसी सांठगांठ के चलते इन नियमों की अनदेखी की जाती है। नतीजतन विभाग का डर वाहन चालकों पर नहीं दिखता। स्थानीय नागरिकों का कहना है कि यदि यातायात विभाग ने समय रहते सख्ती दिखाई होती और सार्वजनिक वाहनों के मनमाने ढंग से सड़कों पर रुकने की प्रवृत्ति पर अंकुश लगाया होता तो कई दुर्घटनाओं को रोका जा सकता था। अब जरूरत है कि प्रशासन न केवल चालानी कार्रवाई पर निर्भर रहे बल्कि सड़क सुरक्षा नियमों का कड़ाई से पालन करवाए।

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