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यातायात विभाग की लापरवाही उजागर: नियम आम जनता के लिए, खुद पर नहीं

 


कोरिया। शहर में यातायात विभाग की कार्यप्रणाली एक बार फिर सवालों के घेरे में है। विभाग के द्वारा नियमों की अनदेखी खुलेआम की जा रही है। आम नागरिकों के वाहनों में यदि एचएसआरपी (हाई सिक्योरिटी रजिस्ट्रेशन प्लेट) नंबर प्लेट नहीं पाई जाती है, तो उन पर तुरंत 300 रुपये का चालान कर दिया जाता है। वहीं विभाग की अपनी ही गाड़ियों में एचएसआरपी नंबर प्लेट नदारद है, जो सीधे तौर पर यातायात नियमों का उल्लंघन है। यातायात प्रभारी का कहना है कि जो भी व्यक्ति यातायात नियमों का पालन नहीं करेगा, उसके खिलाफ सख्त चालानी कार्रवाई की जाएगी। लेकिन जमीनी हकीकत इससे बिल्कुल उलट है। विभाग अपनी गाड़ियों पर ही नियम लागू नहीं कर रहा, जिससे उसकी कार्यशैली पर सवाल उठ रहे हैं। सूत्रों से मिली जानकारी के अनुसार, यातायात विभाग के कर्मचारी प्रतिदिन नगर, महोरा और डुमरिया इलाके में सुबह से ही वाहनों की जांच करते हैं। खास बात यह है कि यह जांच बिना किसी वरिष्ठ अधिकारी की उपस्थिति में की जाती है। जबकि नियमानुसार वाहन जांच के दौरान किसी अधिकृत अधिकारी का मौजूद रहना अनिवार्य है। यह प्रक्रिया खुद यातायात नियमों के खिलाफ है। शहर की यातायात व्यवस्था दिन-ब-दिन बिगड़ती जा रही है। महज दो कर्मचारियों के भरोसे यातायात व्यवस्था संभाली जा रही है, जिससे आम नागरिकों को भारी परेशानी का सामना करना पड़ रहा है। ट्रैफिक सिग्नल व्यवस्था कागजों तक ही सीमित है, वहीं मुख्य चौक-चौराहों पर जाम की स्थिति आए दिन देखी जा सकती है। मोटरयान अधिनियम 1988 की धारा 39 के अनुसार बिना रजिस्ट्रेशन अथवा मान्य नंबर प्लेट के वाहन चलाना दंडनीय अपराध है। वहीं धारा 177 के तहत यातायात नियमों का उल्लंघन करने पर चालान की कार्रवाई की जाती है। ऐसे में यदि यातायात विभाग की गाड़ियों में एचएसआरपी नंबर प्लेट नहीं है, तो यह सीधे-सीधे कानून का उल्लंघन है। स्थानीय नागरिकों का कहना है कि विभाग को पहले अपनी गाड़ियों को नियमों के दायरे में लाना चाहिए, उसके बाद आम जनता पर कार्रवाई करनी चाहिए। दोहरे मापदंड से लोगों में असंतोष फैल रहा है। यदि जल्द ही इस पर उच्चाधिकारियों द्वारा ध्यान नहीं दिया गया, तो जनता का भरोसा यातायात विभाग से पूरी तरह उठ सकता है।


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