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तलवापारा में सूखा पेड़ काटने को लेकर मामला गंभीर, पूरा क्षेत्र ब्लैकआउट में तब्दील

 


बैकुंठपुर। जिले के ग्राम तलवापारा में सोमवार की दोपहर सूखा पेड़ काटने को लेकर बड़ी लापरवाही सामने आई। इस लापरवाही के चलते पूरे क्षेत्र में बिजली आपूर्ति ठप हो गई है। ग्रामीण सोमवार शाम से ही अंधेरे में रहने को मजबूर हैं। मामला अब गंभीर रूप धारण कर चुका है और ग्रामीणों में आक्रोश व्याप्त है। घटना के संबंध में बताया जा रहा है कि तलवापारा क्षेत्र में लंबे समय से एक सूखा पेड़ खड़ा था, जिसे काटने की जरूरत थी। नियमों के अनुसार, किसी भी पेड़ को काटने से पूर्व संबंधित विभाग और अनुविभागीय अधिकारी राजस्व (एसडीओआर) की अनुमति लेना अनिवार्य होता है। लेकिन इस मामले में नियमों को ताक पर रखकर बिना अनुमति के पेड़ काट दिया गया। स्थानीय लोगों ने बताया कि सोमवार की दोपहर कुछ पूर्व जनप्रतिनिधि मौके पर पहुंचे और अपने स्तर पर पेड़ काटने का कार्य शुरू कर दिया। इसी दौरान सूखे पेड़ की बड़ी डालियां बिजली के तारों पर गिर गईं, जिससे पूरा गांव अंधेरे में डूब गया। बिजली सप्लाई बाधित होने के बाद से ही तलवापारा के लोग काफी परेशान हैं। ग्रामीणों का कहना है कि जब भी सूखा या खतरे की स्थिति वाला पेड़ काटना होता है, तो वन विभाग और राजस्व विभाग से समुचित प्रक्रिया के तहत अनुमति ली जाती है। उसके बाद बिजली विभाग को सूचित कर तारों को सुरक्षित करने और सप्लाई बंद करने की व्यवस्था की जाती है। लेकिन इस मामले में प्रक्रिया का पालन नहीं किया गया, जिसकी वजह से पूरे गांव को खामियाजा भुगतना पड़ा। सूचना के अनुसार, पेड़ गिरने से कई जगह बिजली के तार टूट गए और पोल भी क्षतिग्रस्त हो गए हैं। इसकी मरम्मत में समय लगेगा। बिजली विभाग के कर्मचारी देर रात तक स्थिति का आकलन करते रहे, लेकिन तकनीकी खामियों के चलते आपूर्ति बहाल नहीं हो सकी। विभागीय सूत्रों के अनुसार, मंगलवार देर शाम तक ही बिजली सप्लाई बहाल होने की संभावना है। इस घटना ने प्रशासनिक व्यवस्था और जिम्मेदारी पर सवाल खड़े कर दिए हैं। ग्रामीणों का कहना है कि जब तक अधिकारी और विभागीय कर्मचारी अनुमति नहीं देते, तब तक कोई भी पेड़ काटने का अधिकार नहीं रखता। ऐसे में नियमों को नजरअंदाज कर पेड़ काटने की जिम्मेदारी किसकी है, यह बड़ा सवाल है। तलवापारा के निवासी दिनेश कुमार ने बताया कि सोमवार शाम 4 बजे से ही गांव अंधेरे में डूबा हुआ है। न तो पंखे चल रहे हैं और न ही पीने के लिए पानी की मोटरें चल पा रही हैं। बच्चों की पढ़ाई भी प्रभावित हो रही है। ग्रामीणों ने यह भी कहा कि बिना बिजली गांव की दिनचर्या अस्त-व्यस्त हो गई है। वहीं, महिला ग्रामवासी सीमा देवी ने कहा कि गर्मी और उमस के बीच गांव में छोटे बच्चे और बुजुर्ग सबसे ज्यादा परेशान हो रहे हैं। रातभर अंधेरे में बैठना पड़ा, जिससे लोगों को काफी दिक्कतों का सामना करना पड़ा। उन्होंने प्रशासन से मांग की है कि दोषियों पर कड़ी कार्रवाई की जाए और भविष्य में ऐसी घटनाएं न हों, इसकी व्यवस्था की जाए। ग्रामीणों का यह भी कहना है कि सूखा पेड़ गिरने से अगर कोई बड़ी दुर्घटना होती, तो उसकी जिम्मेदारी कौन लेता। यह केवल लापरवाही नहीं, बल्कि लोगों की जान के साथ खिलवाड़ है। अब जबकि पूरा गांव अंधेरे में है, तो लोगों को समझ नहीं आ रहा है कि इस लापरवाही का खामियाजा वे कब तक भुगतेंगे। बिजली विभाग के अधिकारियों का कहना है कि वे पूरी कोशिश कर रहे हैं कि जल्द से जल्द सप्लाई बहाल हो सके। लेकिन क्षति अधिक होने के कारण मरम्मत कार्य में समय लग रहा है। वहीं, इस मामले में प्रशासनिक अधिकारियों ने भी जांच की बात कही है। कुल मिलाकर, तलवापारा की यह घटना केवल एक पेड़ काटने तक सीमित नहीं रही, बल्कि इसने व्यवस्था और जिम्मेदारी पर बड़े सवाल खड़े कर दिए हैं। अब देखना यह होगा कि प्रशासन दोषियों पर कार्रवाई करता है या नहीं।


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