सुरजपुर/कोरिया। जिले में तहसील कार्यालय भ्रष्टाचार और दलालों का अड्डा बन गया है। न्याय की उम्मीद लेकर पहुँचे ग्रामीणों को रिश्वत और धमकी के सहारे ठगा जा रहा है। ताज़ा मामला ग्राम इन्दरपुर, तहसील ओड़गी का है, जहाँ के निवासी सौरभ प्रताप सिंह ने अपनी माता श्रीमती मंजू सिंह की भूमि विवाद संबंधी प्रकरण में तहसीलदारों पर गंभीर आरोप लगाए हैं।
सौरभ प्रताप सिंह द्वारा कलेक्टर सूरजपुर को दी गई लिखित शिकायत में बताया गया है कि उनकी माता की भूमि (खसरा नंबर 819/10, रकबा 0.40 हेक्टेयर) से जुड़े प्रकरण को जानबूझकर उलझाया गया और रिश्वत की खुली माँग की गई। शिकायत में पूर्व तहसीलदार संजय कुमार राठौर पर आरोप लगाया गया है कि उन्होंने मामले को निपटाने के लिए iPhone 16 Pro Max या ₹2 लाख की रिश्वत माँगी। अंततः ₹1 लाख में डील तय कराई गई, जिसमें ₹50,000 नकद और लगभग ₹30,000 का घरेलू सामान लेने का आरोप है। इसके बाद भी आदेश पारित न कर प्रकरण वर्षों तक लटकाए रखा गया।
शिकायत के अनुसार, संजय राठौर के निलंबित होने के बाद वर्तमान तहसीलदार शिवनारायण राठिया ने नगर सैनिक संजय मिश्रा के ज़रिये सीधे रिश्वत माँगी। शिकायतकर्ता का आरोप है कि संजय मिश्रा ने बार-बार फोन कर धमकी दी कि "अगर ₹1 लाख नहीं दोगे तो सर (तहसीलदार) प्रकरण खारिज कर देंगे।" अंततः रिश्वत न देने पर 10 सितम्बर 2025 को प्रकरण खारिज कर दिया गया और पुनः आवेदन लेने से भी मना कर दिया गया। पीड़ित ने अपने आवेदन में स्पष्ट किया है कि इस पूरे मामले में सीमांकन पंचनामा, गवाहों के बयान और अनावेदिका के हस्ताक्षर जैसे ठोस प्रमाणों को नजरअंदाज कर दिया गया। उन्होंने कहा कि तहसीलदारों ने न्याय करने के बजाय पद का दुरुपयोग करते हुए खुलकर रिश्वत की माँग की और न देने पर प्रतिकूल आदेश पारित कर दिया। इस मामले में पीड़ित ने कलेक्टर से उच्चस्तरीय जांच की माँग की है। साथ ही, पूर्व व वर्तमान तहसीलदारों के खिलाफ कड़ी कार्रवाई, नगर सैनिक संजय मिश्रा पर दंडात्मक कार्यवाही और उनकी माता को भूमि पर वैधानिक कब्जा दिलाने की अपील की है। सूत्रों के अनुसार, शिकायत के साथ पीड़ित ने ऑडियो-वीडियो रिकॉर्डिंग, चैट स्क्रीनशॉट, कॉल-लॉग और पंचनामा दस्तावेज भी साक्ष्य के रूप में प्रस्तुत किए हैं। स्थानीय लोगों का कहना है कि यदि आरोप सही साबित होते हैं तो यह केवल एक व्यक्ति का मामला नहीं, बल्कि पूरे जिले में फैले भ्रष्टाचार का पर्दाफाश होगा। लोग सवाल उठा रहे हैं कि “क्या तहसील कार्यालय अब न्याय का मंदिर न होकर रिश्वतखोरी का अड्डा बन चुका है?”
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