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नगर सेना कार्यालय बना शराबखोरी व झगड़े का अड्डा कुछ निलंबित कर्मचारी कर रहे कार्य - सुत्र

 



कोरिया। जिला मुख्यालय स्थित नगर सेना कार्यालय तलवापारा इन दिनों गलत कारणों से चर्चा में है। यह कार्यालय, जहाँ से अनुशासन, सुरक्षा और सेवा की मिसाल पेश होनी चाहिए, वहीं अब शराबखोरी और आपसी झगड़े का अड्डा बनकर रह गया है। हालात इस कदर बिगड़ चुके हैं कि कभी यहाँ शराब पार्टी चलते हुए वीडियो सोशल मीडिया में वायरल होता है तो कभी आपसी विवाद मारपीट में तब्दील हो जाता है।



प्राप्त जानकारी के अनुसार 10 सितम्बर को जिला नगर सेनानी संजय गुप्ता ने नगर सेना कार्यालय में शराब सेवन करते पाए गए लगभग 10 लोगों में से 6 को निलंबित कर दिया। इस कार्रवाई का वीडियो सोशल मीडिया पर जमकर वायरल हुआ और लोगों ने नगर सेना के अनुशासन पर सवाल खड़े किए। लेकिन इसके ठीक एक हफ्ते बाद 17 सितम्बर को शराब के नशे में धुत एक जवान को ही उसके साथी जवानों ने कार्यालय परिसर में मारपीट कर घायल कर दिया।

इन घटनाओं के चलते अब नगर सेना कार्यालय "मैखाने" और "आखाड़े" के नाम से चर्चाओं में है। स्थानीय लोगों का कहना है कि जब अनुशासन की रक्षा करने वाले ही शराबखोरी और झगड़े में लिप्त हों, तो जिले के लिए यह स्थिति बेहद चिंताजनक है।

सूत्रों की मानें तो निलंबित किए गए 6 जवानों में से कुछ जवान नगर सेनानी के खास बताए जाते हैं। आरोप है कि ये जवान निलंबन अवधि के बावजूद अपने कार्य में संलग्न हैं। अगर यह तथ्य सही है तो यह न केवल नियम विरुद्ध है बल्कि छत्तीसगढ़ सिविल सेवा (आचरण) नियम 1965 एवं लोक सेवक आचरण नियमों का सीधा उल्लंघन है। सेवा नियमों के अनुसार कोई भी कर्मचारी निलंबन अवधि के दौरान अपने दायित्व का निर्वहन नहीं कर सकता, यदि ऐसा होता है तो यह गंभीर प्रशासनिक लापरवाही की श्रेणी में आएगा। इस पूरे मामले में एक और तथ्य जो उभरकर सामने आ रहा है, वह है अधिकारियों की अनुपस्थिति। सूत्र बताते हैं कि जिला नगर सेनानी बैकुण्ठपुर मुख्यालय में रहकर कामकाज नहीं करते। अधिकारी की गैरमौजूदगी का सीधा फायदा अधीनस्थ कर्मचारी उठा रहे हैं और मनमानी कर रहे हैं। यही वजह है कि शराब सेवन, मारपीट और अनुशासनहीनता जैसी घटनाएँ खुलेआम हो रही हैं। जानकार बताते हैं कि भारतीय दंड संहिता की धारा 166 (लोक सेवक द्वारा कानून की अवहेलना करना) और धारा 187 (लोक सेवक के आदेश की अवज्ञा) के अंतर्गत यह कृत्य दंडनीय हो सकता है। वहीं, कार्यालय परिसर में शराब सेवन और झगड़े की घटनाएँ छत्तीसगढ़ आबकारी अधिनियम 1915 तथा भारतीय दंड संहिता की धारा 151 व 160 (सार्वजनिक स्थान पर उपद्रव और शांति भंग) के अंतर्गत भी आपराधिक कार्रवाई योग्य मानी जाएँगी। स्थानीय नागरिकों का कहना है कि नगर सेना जैसी अर्धसैनिक व्यवस्था का कार्यालय इस स्तर पर गिर जाना बेहद दुर्भाग्यपूर्ण है। यदि इस पर जल्द सख्त कार्रवाई नहीं की गई तो यह स्थिति न केवल संगठन की छवि धूमिल करेगी बल्कि पूरे जिले की कानून-व्यवस्था पर भी असर डालेगी।

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