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भालुओं के अस्तित्व पर संकट, शिकारियों की करतूत से जंगल हो रहे खाली

 




कोरिया। जिले के जंगलों से अब भालुओं का अस्तित्व खतरे में पड़ गया है। स्थानीय ग्रामीणों ने चिंता व्यक्त करते हुए बताया कि हाल के दिनों में शिकारियों की गतिविधियां तेज हो गई हैं। ये शिकारी जंगली सूअर और अन्य वन्य प्राणियों का शिकार करने के लिए जंगलों में बिजली का जाल बिछा रहे हैं, जिससे अनजाने में भालू जैसे दुर्लभ वन्य जीव भी मौत का शिकार हो रहे हैं। जानकारी के अनुसार शिकारी जंगलों से गुजरने वाली 11 हजार केवी की बिजली लाइन से तार जोड़कर कई सौ मीटर तक खेतों में फैला देते हैं। इसे दो-तीन फीट की ऊंचाई पर बांस या लकड़ी के खंभों पर टिकाकर बिजली प्रवाहित कर दी जाती है। जब कोई जंगली जानवर इस तार से टकराता है तो करंट लगते ही उसकी मौके पर मौत हो जाती है। इसके बाद शिकारी मौका पाकर मृत जंगली सूअर को उठा ले जाते हैं और अपने साथियों के साथ फरार हो जाते हैं। ग्रामीणों ने बताया कि यदि इस बिजली जाल में कोई दूसरा जानवर जैसे भालू, लकड़बग्घा या सियार फंस जाता है तो शिकारी उसका शव रातों-रात गड्ढा खोदकर दफना देते हैं, जिससे किसी को भनक तक नहीं लगती। 


इसी वजह से भालुओं की संख्या लगातार घट रही है और वे जंगलों से लगभग विलुप्ति की कगार पर पहुंच गए हैं। पहले जहां शाम ढलते ही भालू गांव के आसपास ईंट-भट्ठों और खेतों में आसानी से नजर आ जाते थे, वहीं अब उनका दिखना बेहद दुर्लभ हो गया है। स्थिति इतनी गंभीर है कि ग्रामीणों को वर्षों पुराने नजारे अब याद बनकर रह गए हैं। वन्यजीव प्रेमियों और पर्यावरणविदों ने इस पर गहरी चिंता जताते हुए कहा है कि यदि समय रहते वन विभाग ने ठोस कदम नहीं उठाए, तो आने वाले समय में जंगलों से भालुओं का नामोनिशान मिट जाएगा। भालू केवल जंगल का संतुलन बनाए रखने में मदद नहीं करते, बल्कि जैव विविधता की दृष्टि से भी उनका योगदान अमूल्य है। ग्रामीणों और समाजसेवियों ने वन विभाग के अधिकारियों से अपील की है कि ऐसे शिकारियों पर कड़ी कार्रवाई की जाए तथा जंगल में बिजली का जाल बिछाने पर तत्काल रोक लगाई जाए। साथ ही भालुओं और अन्य जंगली जानवरों की सुरक्षा सुनिश्चित करने के लिए विशेष निगरानी दल गठित किए जाएं। यही समय है जब हम अपनी आने वाली पीढ़ियों के लिए इन दुर्लभ प्रजातियों को बचा सकते हैं।

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