बरामदे के पास दिनों तक पड़ा कचरा और ट्रैक्टर में लोड मेडिकल वेस्ट—जिला अस्पताल की गंभीर लापरवाही का सबूत।
कोरिया। जिला चिकित्सालय कोरिया का हाल बेहाल है। यहां इलाज कराने आने वाले मरीजों को राहत मिलने के बजाय और भी बीमारियां झेलनी पड़ रही हैं। यह हम नहीं, बल्कि अस्पताल परिसर में चार–पांच दिनों तक पड़े कचरे का ढेर खुद कह रहा है। सबसे चिंताजनक बात यह है कि यह कचरा अस्पताल के बरामदे और उपचार वार्डों के पास पड़ा रहता है, जिससे मरीजों और परिजनों का दम घुट रहा है।
एक मरीज ने नाम न छापने की शर्त पर बताया—“यहां बदबू से जीना मुश्किल है, लेकिन मजबूरी है कि इलाज कराना पड़ रहा है।”
जिले का सबसे बड़ा अस्पताल, लेकिन प्रबंधन लापरवाह
कोरिया और मनेंद्रगढ़-चिरमिरी-भर्रीपारा (MCB) जिले के लिए यह सबसे बड़ा जिला चिकित्सालय है। लेकिन हालत यह है कि अस्पताल प्रबंधन को मरीजों की कोई परवाह नहीं। लगातार शिकायतों और खबरों के प्रकाशन के बावजूद जिम्मेदार अधिकारी आंख मूंदकर बैठे हुए हैं।
सूत्रों का आरोप है कि अस्पताल के कई कामों में कमीशनबाज़ी तय है—5 से 10% तक का। यही वजह है कि सफाई व्यवस्था और मेडिकल वेस्ट मैनेजमेंट की स्थिति दिन-ब-दिन बदतर होती जा रही है।
नियम का उल्लंघन, खतरे में जान
स्वास्थ्य नियमों के मुताबिक मेडिकल वेस्ट और जनरल वेस्ट का प्रतिदिन डिस्पोजल किया जाना चाहिए, लेकिन यहां 4–5 दिनों तक गंदगी अस्पताल परिसर में ही रखी जाती है। नतीजतन मच्छरों, बदबू और संक्रमण का खतरा लगातार बढ़ रहा है। मरीजों ने कहा कि इलाज कराने के बजाय यहां आकर उनकी बीमारी और बढ़ रही है।
जिम्मेदार कब जागेंगे?
जिला अस्पताल की इस कचरा संस्कृति पर सवाल उठना लाजमी है—
आखिर क्यों मेडिकल वेस्ट का समय पर निस्तारण नहीं हो रहा?
क्यों अस्पताल प्रबंधन मरीजों की जान से खिलवाड़ कर रहा है?
क्यों अधिकारी एसी कमरों में बैठकर इस गंदगी पर आंख मूंदे हुए हैं?
यदि हालात ऐसे ही रहे तो जिला अस्पताल इलाज का केंद्र नहीं, बल्कि संक्रमण का घर बनकर रह जाएगा।
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