कोरिया/सोनहत। लगातार हो रही बारिश ने जहां मौसम को सुहावना बना दिया है, वहीं आमजन के लिए यह बारिश किसी मुसीबत से कम साबित नहीं हो रही है। जिले के विभिन्न हिस्सों में सड़कें जर्जर और कीचड़ से लबालब हो गई हैं। हाल ही में जिला मुख्यालय बैकुंठपुर से लेकर वनांनचल तक की ऐसी तस्वीरें सामने आ चुकी हैं, और अब तहसील सोनहत की स्थिति ने भी जनप्रतिनिधियों और प्रशासन की कार्यप्रणाली पर सवाल खड़े कर दिए हैं।
सोनहत स्थित स्वामी आत्मानंद इंग्लिश मीडियम स्कूल के सामने का मुख्य रास्ता पूरी तरह से दलदल और गड्ढों में तब्दील हो चुका है। सुबह से ही यहां कीचड़ भरे रास्ते से गुजरते हुए स्कूल आने-जाने वाले छात्र-छात्राओं और शिक्षकों को भारी परेशानी उठानी पड़ रही है। कई बार छात्र फिसलकर गिर जाते हैं, कपड़े और जूते पूरी तरह से गंदे हो जाते हैं। इसके बावजूद मजबूरी में उन्हें इसी रास्ते से होकर स्कूल आना पड़ता है।
छात्र-छात्राओं की परेशानी
स्कूल यूनिफॉर्म में रोज कीचड़ से होकर गुजरना बच्चों के लिए सबसे बड़ी समस्या बन चुकी है। छात्र-छात्राओं का कहना है कि बारिश के दिनों में स्कूल पहुंचना किसी जंग से कम नहीं है। कई जगह सड़क पर पानी भर जाने से उन्हें किनारे से होकर निकलना पड़ता है, जिससे देर भी हो जाती है। मोटरसाइकिल और साइकिल से आने वाले बच्चे भी गड्ढों और फिसलन भरे रास्ते में गिरने से घायल होने का खतरा झेल रहे हैं।
अभिभावकों की चिंता
अभिभावक भी बच्चों की सुरक्षा को लेकर चिंतित हैं। उनका कहना है कि जहां सरकार एक ओर बच्चों के उज्जवल भविष्य के लिए स्वामी आत्मानंद इंग्लिश मीडियम स्कूल जैसे संस्थान खोल रही है, वहीं दूसरी ओर इन स्कूलों तक पहुंचने का रास्ता ही सुरक्षित नहीं है। यह विरोधाभास कहीं न कहीं शासन-प्रशासन की लापरवाही को दर्शाता है।
जिम्मेदारों की अनदेखी
स्थानीय नागरिकों का आरोप है कि कई बार इस समस्या की शिकायत जनप्रतिनिधियों और अधिकारियों से की गई, लेकिन आज तक कोई ठोस कदम नहीं उठाया गया। छोटे-छोटे मरम्मत कार्य करने के बजाए समस्या को नजरअंदाज कर दिया जाता है। लोगों का कहना है कि चुनाव के समय तो नेता इसी सड़क से होकर वोट मांगने पहुंच जाते हैं, लेकिन जनता की असली समस्याओं पर ध्यान देना उन्हें जरूरी नहीं लगता।
शिक्षा पर असर
विशेषज्ञों का मानना है कि इस प्रकार की सड़क व्यवस्था बच्चों की शिक्षा पर भी नकारात्मक प्रभाव डाल सकती है। यदि बच्चे रोजाना ऐसी परिस्थितियों से गुजरते हैं, तो उनमें पढ़ाई के प्रति उत्साह कम हो सकता है। कई बार बारिश के कारण रास्ता और भी ज्यादा खराब हो जाता है, जिससे अभिभावक बच्चों को स्कूल भेजने से कतराने लगते हैं।
जनता की मांग
ग्रामीणों और अभिभावकों ने जिला प्रशासन से मांग की है कि तुरंत प्रभाव से सोनहत स्थित स्वामी आत्मानंद इंग्लिश मीडियम स्कूल के सामने की सड़क को दुरुस्त कराया जाए। साथ ही बरसात को देखते हुए यहां पक्के नाली और जल निकासी की व्यवस्था की जाए, ताकि भविष्य में ऐसी समस्या दोबारा न हो।
सवाल उठते हैं
सबसे बड़ा सवाल यह है कि जब जिले और राज्य स्तर पर करोड़ों रुपए की योजनाएं सड़कों और शिक्षा के नाम पर चल रही हैं, तो फिर बच्चों को इस तरह कीचड़ से होकर क्यों गुजरना पड़ रहा है? क्या जिम्मेदार अधिकारी केवल कागजों में विकास दिखाने तक सीमित रह गए हैं?
साफ है कि यह समस्या केवल सोनहत या कोरिया जिले की नहीं, बल्कि पूरे प्रदेश में सड़क और आधारभूत ढांचे की बदहाली का आईना है। जनता अब यही उम्मीद कर रही है कि उनकी आवाज शासन-प्रशासन तक पहुंचे और बच्चों को सुरक्षित और साफ रास्ता उपलब्ध कराया जाए।
👉 निष्कर्ष:
सोनहत की यह तस्वीरें केवल एक स्कूल या एक रास्ते की नहीं हैं, बल्कि यह सवाल है बच्चों के भविष्य, शिक्षा और उनकी सुरक्षा का। प्रशासन को चाहिए कि तुरंत इस दिशा में कदम उठाए और बच्चों को इस मुसीबत से निजात दिलाए।
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