कोरिया। बैकुंठपुर कोतवाली थाना क्षेत्र में रविवार रात हुई एक गंभीर मारपीट की घटना ने पुलिस की कार्यप्रणाली पर कई सवाल खड़े कर दिए हैं। घटना के संबंध में प्रहलाद गुप्ता ने आवेदन देकर बताया है कि दिनांक 24 अगस्त 2025 की रात 9:00 बजे उनका बेटा प्रखर गुप्ता (पिता – प्रहलाद गुप्ता) कलेक्टर कार्यालय के समीप स्थित होटल से अपने घर लौट रहा था। इसी दौरान रामसेतु होटल के पास सड़क पर बैठी गाय को बचाने के प्रयास में वह रोड पर गिर पड़ा।
आवेदन के अनुसार, प्रखर गुप्ता के गिरते ही होटल से कुछ व्यक्ति बाहर निकले और उन्होंने अपने आप को डीआईजी रायपुर का परिचित एवं स्वास्थ्य मंत्री श्याम बिहारी जायसवाल का नजदीकी बताते हुए प्रखर गुप्ता को पकड़कर बेहरहमी से मारपीट की। घटना की जानकारी मिलते ही परिजन मौके पर पहुंचे और घायल प्रखर गुप्ता को वहां से छुड़ाकर जिला चिकित्सालय ले गए।
हालत गंभीर, अंबिकापुर रेफर
जिला चिकित्सालय में डॉक्टरों ने जांच के बाद प्रखर गुप्ता की स्थिति गंभीर बताई और बेहतर इलाज के लिए उसे अंबिकापुर मेडिकल कॉलेज रेफर कर दिया।
थाने में शिकायत दर्ज नहीं की गई
परिजन जब मामले की शिकायत लेकर बैकुंठपुर कोतवाली पहुंचे तो उन्हें वहां कथित तौर पर कहा गया कि शिकायत को 14 दिन बाद दर्ज किया जाएगा। आवेदक का कहना है कि भारतीय संविधान और कानून में ऐसा कहीं प्रावधान नहीं है कि किसी पीड़ित की शिकायत 14 दिन बाद ही दर्ज हो।
सूत्रों का दावा – दबाव में पुलिस
सूत्रों की मानें तो इस पूरे मामले में कोतवाली पुलिस टीम दबाव में है। बताया जा रहा है कि मारपीट में शामिल लोग कथित तौर पर डीआईजी रायपुर के परिचित और स्वास्थ्य मंत्री के रिश्तेदार बताए जा रहे हैं। इसी कारण स्थानीय पुलिस कार्रवाई से बच रही है। हालांकि, इन दावों की आधिकारिक पुष्टि नहीं हो सकी है।
अवैध कारोबार पर भी सवाल
आवेदन में यह भी उल्लेख किया गया है कि कोतवाली थाना से महज 500 मीटर की दूरी पर लंबे समय से अवैध गांजा कारोबार संचालित हो रहा है। इसके बावजूद कोतवाली पुलिस द्वारा बीते एक साल में किसी भी प्रकार की कार्रवाई नहीं की गई है। स्थानीय लोगों का कहना है कि बैकुंठपुर कोतवाली थाना क्षेत्र अब अवैध कारोबार का अड्डा बन गया है और इसमें प्रभावशाली लोगों को संरक्षण दिया जा रहा है।
कानून व्यवस्था पर सवाल
मारपीट जैसी गंभीर घटना के बाद भी जब पीड़ित परिवार को न्याय के लिए थाने के चक्कर लगाने पड़ें और उनकी शिकायत तक दर्ज न हो, तो यह निश्चित रूप से कानून व्यवस्था और पुलिस की निष्पक्षता पर प्रश्नचिह्न खड़ा करता है। आम नागरिकों का कहना है कि अगर आम लोगों के मामलों में पुलिस 14 दिन तक शिकायत दर्ज करने से टाल-मटोल करेगी, तो पीड़ितों को न्याय कैसे मिलेगा।
परिजनों की मांग
प्रखर गुप्ता के परिजनों ने उच्चाधिकारियों से मांग की है कि मामले की निष्पक्ष जांच कर आरोपियों पर सख्त कार्रवाई की जाए। साथ ही पुलिस की कार्यशैली की भी समीक्षा हो, ताकि भविष्य में किसी भी पीड़ित को इस तरह न्याय के लिए भटकना न पड़े।
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