कोरिया। जिले की ग्राम पंचायतों में स्वच्छता किट सप्लाई के नाम पर हुए करोड़ों रुपए के फर्जी भुगतान का मामला एक बार फिर सुर्खियों में है। वर्ष 2024-25 में जिले के पांच विकासखंड – बैकुंठपुर, मनेंद्रगढ़, सोनहत, खड़गवां और भरतपुर की पंचायतों में स्वच्छता किट के नाम पर खरीदी गई सामग्री को लेकर बड़े स्तर पर गड़बड़ी सामने आई है।
पंचायतों को ट्रिपल अटैच मेटल बॉकेट डस्टबिन के साथ 2 जैकेट, 2 फावड़ा, 2 बेलचा, 2 हेलमेट, 2 सेट जूता और दस्ताने की सप्लाई कराई गई थी। खुले बाजार में इस सामग्री की अनुमानित कीमत करीब 15 हजार रुपए थी, जबकि पंचायतों से जबरन 49 हजार 300 से 49 हजार 800 रुपए वसूले गए। भुगतान ग्राम पंचायतों से दबाव पूर्वक 15वें वित्त की राशि से कराया गया। कई सरपंचों ने इस मनमानी का विरोध किया था, मगर पंचायत सचिवों पर प्रशासनिक दबाव बनाकर भुगतान करवाया गया।
अधिकारी और सप्लायर फर्म के तार
सूत्रों के अनुसार, सप्लायर फर्म आरुग एसोसिएट्स का सीधा संबंध जिला पंचायत कोरिया में पदस्थ उप संचालक पंचायत विभाग ऋतु साहू के रिश्तेदारों से है। फर्म को बिना निविदा आमंत्रण के ही सप्लाई का काम दे दिया गया। यहां तक कि सप्लाई फर्म का GST नंबर भी फर्जी पाया गया। सवाल यह भी उठ रहा है कि जब जिले में ही आवश्यक सामग्री उपलब्ध थी, तो सप्लाई कोरबा की संदिग्ध फर्म से क्यों कराई गई।
जांच टीम बनी, पर नतीजा शून्य
जब यह मामला मीडिया में उछला और सरपंचों ने 15 हजार के सामान के बदले 50 हजार वसूली पर आपत्ति जताई, तो तत्कालीन जिला प्रशासन ने तीन सदस्यीय जांच टीम गठित करने की घोषणा की थी। लेकिन जांच टीम ने न तो सरपंचों से बातचीत की और न ही बाजार मूल्य का आकलन किया। सूत्रों के मुताबिक, जांच का उद्देश्य केवल सुर्खियों को शांत करना था।
शिकायतों पर भी कार्रवाई नहीं
इस घोटाले को लेकर महेन्द्र पाण्डेय ने मुख्यमंत्री पोर्टल पर शिकायत दर्ज कराई थी, लेकिन महीनों बीत जाने के बाद भी कोई ठोस निष्कर्ष सामने नहीं आया। इसके बाद सुशासन पोर्टल पर भी शिकायत की गई, किंतु वहां से भी केवल औपचारिकता निभाई गई। अब शिकायतकर्ता प्रधानमंत्री तक मामला ले जाने की तैयारी में हैं। सवाल यह उठता है कि जब सुशासन व्यवस्था के तहत शिकायतों पर कार्रवाई ही नहीं हो रही, तो आम नागरिकों को न्याय कैसे मिलेगा।
उच्च स्तरीय जांच की मांग
ग्राम पंचायतों से 15वें वित्त की राशि का यह दुरुपयोग एक प्रायोजित घोटाले की ओर इशारा करता है। ग्रामीण व जनप्रतिनिधियों ने मांग की है कि इस पूरे प्रकरण की उच्च स्तरीय जांच हो, जिसमें स्थानीय अधिकारियों की कोई भूमिका न हो, ताकि सच्चाई सामने आ सके और दोषियों पर सख्त कार्रवाई हो।
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