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भारतमाता परियोजना मामले मे पटवारी सुरेश मिश्रा ने की आत्महत्या कहा मै दोषी नही चार पन्ने का सोसाईड नोट थोडा

बहन के फार्म हाउस में फांसी लगाकर दी जान, उच्च अधिकारियों पर फंसाने का लगाया आरोप


रायपुर। भारतमाला परियोजना के तहत ज़मीन अधिग्रहण में हुए कथित भ्रष्टाचार मामले में निलंबित किए गए पटवारी सुरेश मिश्रा ने आत्महत्या कर ली है। उन्होंने मंगलवार देर रात अपनी बहन के फार्म हाउस में फांसी लगाकर जान दे दी। पुलिस को मौके से चार पन्नों का सुसाइड नोट मिला है, जिसमें सुरेश ने खुद को निर्दोष बताया है और उच्च अधिकारियों पर गंभीर आरोप लगाए हैं।
घटना रायपुर से करीब 15 किलोमीटर दूर स्थित ग्राम सोंढा में हुई, जहां सुरेश पिछले कुछ दिनों से रह रहे थे। पुलिस ने बताया कि आत्महत्या का कारण प्रथम दृष्टया मानसिक अवसाद माना जा रहा है, लेकिन सुसाइड नोट में किए गए खुलासे जांच की दिशा को बदल सकते हैं।

सुसाइड नोट में क्या लिखा है?

सुरेश मिश्रा ने अपने सुसाइड नोट में लिखा है:

"मैंने कोई गड़बड़ी नहीं की, मुझे झूठा फंसाया जा रहा है। जिन लोगों ने करोड़ों का घोटाला किया, वे आज भी कुर्सी पर बैठे हैं। मेरी मौत के बाद भी अगर जांच निष्पक्ष नहीं हुई, तो ये सिस्टम कभी नहीं सुधरेगा।"

भारतमाला परियोजना के लिए अधिग्रहित भूमि में मुआवजा वितरण को लेकर हुए घोटाले में सुरेश मिश्रा का नाम सामने आया था। बीते दिनों लोकायुक्त की प्राथमिक जांच के बाद उन पर धोखाधड़ी और रिकॉर्ड में हेरफेर का मामला दर्ज किया गया था। इसके बाद उन्हें राजस्व विभाग ने निलंबित कर दिया था।

परिजनों ने लगाए गंभीर आरोप

सुरेश के भाई राजेश मिश्रा का कहना है कि सुरेश पर जबरन दबाव बनाया जा रहा था कि वे अफसरों के नाम न लें। उन्होंने बताया कि सुरेश काफी तनाव में थे और उन्हें बलि का बकरा बनाया गया।

थाना प्रभारी अभिषेक तिवारी ने बताया कि मामले की जांच की जा रही है। सुसाइड नोट को जब्त कर फॉरेंसिक जांच के लिए भेजा गया है। "अगर किसी उच्च अधिकारी की भूमिका सामने आती है तो उनसे भी पूछताछ की जाएगी", उन्होंने कहा।

जिला प्रशासन ने इस मामले में मजिस्ट्रियल जांच के आदेश दिए हैं। जांच रिपोर्ट 15 दिनों में प्रस्तुत करने को कहा गया है। वहीं, आर्थिक अपराध शाखा (ईओडब्ल्यू) ने भी सुरेश के आरोपों को गंभीरता से लेते हुए वरिष्ठ अफसरों की भूमिका की पड़ताल शुरू कर दी है।

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