सरगुजा। सरगुजा संभाग के सपना–सुखरी ग्राम फतेपुर क्षेत्र के जंगलों में इन दिनों ‘बावनपरियों’ (ताश जुआ) का अवैध खेल खुलेआम संचालित होने की चर्चा जोरों पर है। सूत्रों के अनुसार, इस जुए के अवैध कारोबार को मोहन, राजेश तथा फतेपुर–सुखरी के खान नामक व्यक्ति द्वारा बीते लगभग सात वर्षों से लगातार संचालित किया जा रहा है। बताया जा रहा है कि जंगल के भीतर सुनियोजित तरीके से जुए की महफिल सजाई जाती है, जहां दूर–दराज से खिलाड़ी पहुंचते हैं।
सूत्र बताते हैं कि जुआ खेलने वालों को न केवल सुरक्षित स्थान उपलब्ध कराया जाता है, बल्कि खाने–पीने, बैठने और निगरानी की भी पूरी व्यवस्था रहती है। खेल के दौरान बाहरी लोगों की आवाजाही पर नजर रखने के लिए अलग से लोग तैनात रहते हैं, जिससे किसी भी कार्रवाई की भनक पहले ही लग सके। इसी कारण जुआ संचालक और खिलाड़ी खुलेआम यह दावा करते नजर आते हैं कि “सरगुजा संभाग की पुलिस हमें कभी पकड़ नहीं सकती।” स्थानीय ग्रामीणों का कहना है कि इस अवैध गतिविधि की जानकारी क्षेत्र के रक्षकों और संबंधित अधिकारियों को भी लंबे समय से है, लेकिन इसके बावजूद अब तक कोई ठोस कार्रवाई सामने नहीं आई है। इससे पुलिस की कार्यप्रणाली पर सवाल खड़े हो रहे हैं। ग्रामीणों में यह चर्चा भी है कि कहीं न कहीं मिलीभगत या संरक्षण के चलते यह अवैध कारोबार फल–फूल रहा है। सूत्रों की मानें तो जुए में रोजाना हजारों से लाखों रुपये तक का दांव लगाया जाता है, जिससे सामाजिक माहौल बिगड़ रहा है और युवा वर्ग गलत रास्ते पर जा रहा है। जंगल क्षेत्र में इस तरह की गतिविधियों से कानून–व्यवस्था पर भी खतरा उत्पन्न हो रहा है। अब बड़ा सवाल यह है कि आखिर जुआ खेलने और खिलाने वालों में ऐसा क्या है, जो वे खुलेआम पुलिस को चुनौती दे रहे हैं। क्या प्रशासन इस चुनौती को स्वीकार कर कार्रवाई करेगा या फिर यह अवैध खेल यूं ही चलता रहेगा—यह देखने वाली बात होगी।

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