छत्तीसगढ़ के कोरिया जिले के कलेक्टर ने एक ऐसा कदम उठाया है, जिसने प्रशासनिक कार्यशैली की परिभाषा ही बदल दी है। जहां बाकी जिलों में विकास योजनाएं कागज़ों तक सीमित रह जाती हैं, वहीं कोरिया में हर योजना ज़मीन पर उतरती दिख रही है। कलेक्टर ने “जनसेवा से जनविश्वास तक” नामक पहल शुरू की है, जिसके तहत हर पंचायत में प्रशासन का सीधा संवाद सप्ताह में एक दिन अनिवार्य किया गया है। इस पहल से अब ग्रामीणों को अपने छोटे-बड़े मुद्दों के समाधान के लिए जिला मुख्यालय के चक्कर नहीं लगाने पड़ते। बिजली, पानी, स्वास्थ्य, शिक्षा और स्वरोजगार से जुड़े समस्याओं का निपटारा गांव में ही हो रहा है। कलेक्टर ने युवाओं के लिए “कोरिया इनोवेशन क्लब” की भी स्थापना की है, जिसमें छात्र और युवा मिलकर अपने क्षेत्र की स्थानीय समस्याओं का तकनीकी समाधान खोज रहे हैं। हाल ही में क्लब ने वर्षा जल संरक्षण के लिए “स्मार्ट टैंक” तैयार किया, जिससे कई गांवों में जल संकट खत्म हो गया। महिलाओं के सशक्तिकरण के क्षेत्र में भी कोरिया जिला अग्रणी बन गया है। “मां शक्ति अभियान” के अंतर्गत स्वयं सहायता समूहों को डिजिटल प्रशिक्षण और ई-मार्केटिंग की सुविधा दी गई है, जिससे सैकड़ों महिलाएं अब आत्मनिर्भर बन चुकी हैं। पर्यावरण के क्षेत्र में कलेक्टर की “हर घर पेड़, हर मन हरियाली” मुहिम ने जिले को राज्य का सबसे हरित जिला बना दिया है। इस प्रयास से न केवल वायु गुणवत्ता सुधरी है, बल्कि ग्रामीण पर्यटन को भी नया जीवन मिला है। कोरिया के कलेक्टर का यह प्रयास सिर्फ एक जिले की कहानी नहीं, बल्कि यह संदेश है कि जब प्रशासनिक संवेदनशीलता और जनभागीदारी साथ चलें, तो विकास अपने आप बोल उठता है।

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