कोरिया। ग्राम पंचायत आमगांव का हाल बेहाल है। वर्ष 2018 से 2024 तक यहां जमकर भ्रष्टाचार हुआ, जिसका नतीजा अब धीरे-धीरे सामने आने लगा है। ग्राम पंचायत में शासन से आए लाखों रुपये का किस प्रकार दुरुपयोग किया गया और योजनाओं को किस तरह कागजों में ही पूरा दिखाया गया, इसकी परतें अब खुलने लगी हैं। ग्रामीणों का आरोप है कि यदि पूरे मामले की निष्पक्ष जांच कराई जाए तो ग्राम सचिव और अन्य जिम्मेदारों के खिलाफ कड़ी कार्यवाही तय है।
ग्रामीणों ने बताया कि पंचायत में जनता के टैक्स से जुटाए गए राजस्व और शासन से भेजी गई राशि का उपयोग पारदर्शिता के साथ नहीं किया गया। सरकारी योजनाओं के नाम पर सिर्फ खानापूर्ति की गई और बजट का बंदरबांट कर दिया गया। इतना ही नहीं, पंचायत के लिए खरीदे गए शासकीय सामान तक रहस्यमय तरीके से चोरी हो गए, लेकिन इस पर न तो सरपंच ने और न ही ग्राम सचिव ने कोई गंभीरता दिखाई। चोरी की शिकायत दर्ज कराने या दोषियों को पकड़वाने की पहल तक नहीं की गई।
ग्रामीणों का कहना है कि पंचायत में भ्रष्टाचार की जड़ें इतनी गहरी हो गई हैं कि आमजन की मूलभूत सुविधाएं तक प्रभावित हो गई हैं। न तो गांव की सड़कें समय पर बन पाईं, न ही नालियों की सफाई और निर्माण का कार्य हुआ। पंचायत भवन से लेकर गौठान तक, हर जगह अव्यवस्था का आलम है। ग्राम सचिव और सरपंच की लापरवाही के कारण शासकीय योजनाएं सिर्फ फाइलों में ही सिमटकर रह गईं।
राजनीतिक पुट भी इस मामले में साफ तौर पर देखने को मिल रहा है। ग्रामीणों का कहना है कि यदि प्रदेश में कांग्रेस की सरकार होती तो इस मामले की जांच निश्चित तौर पर कराई जाती, लेकिन वर्तमान में भाजपा की सरकार होने और गौठान योजना बंद होने के कारण जिम्मेदार अधिकारियों का ध्यान इस ओर नहीं जा रहा है। शासन-प्रशासन की उदासीनता ने भ्रष्टाचारियों के हौसले और बुलंद कर दिए हैं। स्थानीय लोगों का कहना है कि किसी भी दल की सरकार हो, भ्रष्टाचार को बर्दाश्त नहीं किया जाना चाहिए। जनता की गाढ़ी कमाई से जुटाए गए टैक्स और योजनाओं की राशि का दुरुपयोग करना सीधे-सीधे जनता के साथ धोखा है। पंचायत स्तर पर इस तरह का गबन विकास कार्यों को प्रभावित करता है और ग्रामीणों के जीवनस्तर को गिरा देता है। अब ग्रामीणों ने शासन-प्रशासन से इस पूरे मामले की उच्च स्तरीय जांच कराने की मांग की है। उनका कहना है कि यदि भ्रष्टाचारियों पर अंकुश नहीं लगाया गया तो वे सामूहिक रूप से आंदोलन करने को मजबूर होंगे। फिलहाल आमगांव पंचायत में फैले इस घोटाले ने न सिर्फ स्थानीय स्तर पर बल्कि पूरे जिले में हलचल मचा दी है। लोग यह जानना चाहते हैं कि आखिर जनता के हित के लिए आए करोड़ों रुपयों का हिसाब कौन देगा और जिम्मेदारों पर कब कार्यवाही होगी।
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