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बैकुण्ठपुर में यातायात विभाग की लापरवाही, ओवरलोड स्कूल बसों से मासूमों की जिंदगी दांव पर

 



बैकुण्ठपुर। नगर में यातायात विभाग की लापरवाही और ‘सूत्रभैया’ कार्यशैली अब सीधे तौर पर बच्चों की जान पर भारी पड़ रही है। स्कूल बसों में लगातार क्षमता से अधिक बच्चों को भरकर चलाया जा रहा है, लेकिन विभाग आंख मूंदे बैठा है। यह स्थिति तब और चिंताजनक हो जाती है जब इन्हीं ओवरलोड वाहनों की वजह से हादसों की आशंका बढ़ जाती है।

विभाग बना है मूकदर्शक

जानकारी के अनुसार, यातायात विभाग केवल चालानी कार्यवाही तक सीमित रह गया है। वह भी तब, जब कोई उच्च अधिकारी निरीक्षण में उपस्थित हों। नियमित निगरानी और रोकथाम की बजाय विभाग केवल कागजी कार्रवाई कर अपनी जिम्मेदारी पूरी मान लेता है। इसी का नतीजा है कि निजी स्कूलों की बसें नियमों को ठेंगा दिखाकर सड़कों पर दौड़ रही हैं और मासूम बच्चे रोज़ाना मौत के साये में सफर करने को मजबूर हैं।

हादसों का खतरा बढ़ा

बीते दिनों नजीर अजहर पेट्रोल पंप के सामने एक वाहन दुर्घटनाग्रस्त हो गया। प्रत्यक्षदर्शियों का कहना है कि उक्त वाहन का कुछ लोगों द्वारा पीछा किया जा रहा था, जिसके कारण चालक तेज गति से वाहन चलाने लगा और आखिरकार अनियंत्रित होकर दुर्घटनाग्रस्त हो गया। स्थानीय लोगों ने यह भी बताया कि जिस स्थान पर हादसा हुआ, वहां सड़क पर खतरनाक मोड़ है, लेकिन न तो कोई चेतावनी बोर्ड लगाया गया है और न ही संकेतक चिन्ह। यह स्थिति सीधे तौर पर यातायात विभाग की लापरवाही को उजागर करती है।

बच्चों की जिंदगी से खिलवाड़

नगर के कई प्राइवेट स्कूल यातायात नियमों की खुलेआम धज्जियां उड़ा रहे हैं। बसों में बैठने की क्षमता से दोगुने बच्चे ठूंसे जा रहे हैं। कई बार तो बच्चों को खड़े होकर यात्रा करनी पड़ती है। यह स्थिति किसी भी बड़े हादसे को न्योता दे सकती है। अभिभावकों का कहना है कि वे अपने बच्चों को पढ़ाई के लिए स्कूल भेजते हैं, लेकिन इस तरह की अनदेखी उनके लिए रोज़ाना डर का सबब बन चुकी है।

जिम्मेदारी से बच रहा तंत्र

यातायात नियमों के पालन की जिम्मेदारी विभाग पर है, लेकिन संबंधित अधिकारी न तो स्कूल बसों की नियमित जांच कर रहे हैं और न ही सुरक्षा मानकों का पालन सुनिश्चित करवा पा रहे हैं। चालानी कार्यवाही केवल दिखावे तक सीमित रह गई है। वहीं स्थानीय प्रशासन भी इस मुद्दे पर चुप्पी साधे हुए है।

अब जरूरी है सख्त कदम

लगातार बढ़ते हादसे और ओवरलोड बसों के संचालन को देखते हुए आवश्यक है कि यातायात विभाग तत्काल प्रभाव से विशेष अभियान चलाए। स्कूल बसों की फिटनेस, परमिट, चालक-परिचालक की योग्यता और सुरक्षा मानकों की सख्ती से जांच की जाए। साथ ही सड़क के खतरनाक मोड़ों पर चेतावनी संकेतक लगाए जाएं, ताकि हादसों पर अंकुश लगाया जा सके। बैकुण्ठपुर की स्थिति यह सवाल खड़ा करती है कि जब मासूमों की जिंदगी दांव पर है तो यातायात विभाग आखिर कब जागेगा? अब यह जिम्मेदारी विभाग और प्रशासन दोनों की है कि वे लापरवाही छोड़कर ठोस कदम उठाएं, वरना आने वाले दिनों में कोई भी बड़ा हादसा विभाग की निष्क्रियता का काला धब्बा बनकर सामने आ सकता है। 

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