कोरिया। ज़िले में कलेक्टर के आदेश अब मज़ाक बनकर रह गए हैं! राष्ट्रीय राजमार्ग 43 पर बीती रात एक मृत गौवंश घंटों तक पड़ा रहा, लेकिन न पंचायत सचिव, न प्रशासनिक अमला — कोई भी मौके पर नहीं पहुँचा। हालत यह रही कि रात से लेकर सुबह तक राहगीर और स्थानीय लोग उस बदबू और दर्दनाक नज़ारे के बीच से गुज़रते रहे, लेकिन जिम्मेदार अधिकारी कुंभकर्णी नींद में सोते रहे, ग्राम पंचायत सचिव की बडी लापरवाही हुई उजागर।
गौ-रक्षक अनुराग दुबे ने भड़ास निकालते हुए कहा — “कलेक्टर कोरिया का साफ़ निर्देश है कि किसी भी सरकारी सड़क पर मृत या घायल गौवंश नहीं रहना चाहिए, और अगर ऐसी लापरवाही होती है तो संबंधित ग्राम पंचायत सचिव पर तत्काल कार्रवाई होनी चाहिए। लेकिन यहां तो आदेशों की धज्जियां उड़ रही हैं, जैसे कानून और प्रशासन सिर्फ किताबों में ही ज़िंदा हो।”
⚡ लोगों का आक्रोश चरम पर
स्थानीय लोगों का कहना है कि जब ग्राम पंचायत सचिव कलेक्टर तक की बात नहीं मान रहे हैं, तो फिर वे आम जनता की परेशानी को क्या समझेंगे? यह मामला सिर्फ एक मृत गौवंश का नहीं है, बल्कि यह प्रशासनिक तंत्र की नाकामी, लापरवाही और संवेदनहीनता का खुला सबूत है। NH-43 जैसे व्यस्त मार्ग पर इस तरह का दृश्य न केवल मानवीय संवेदनाओं को ठेस पहुंचाता है, बल्कि स्वच्छता और स्वास्थ्य के लिहाज से भी खतरनाक है। हादसों का खतरा अलग से मंडरा रहा है, लेकिन शायद जिम्मेदारों के लिए यह “कोई मुद्दा” नहीं है।
मांग तेज़ — कार्रवाई कब होगी?
गांव-गांव में चर्चा है कि जब शीर्ष अधिकारियों के आदेशों का यह हाल है, तो निचले स्तर पर नियम-कानून का पालन कैसे होगा? लोग मांग कर रहे हैं कि दोषी ग्राम पंचायत सचिवों और संबंधित जिम्मेदार अधिकारियों पर सख्त कार्रवाई हो, ताकि भविष्य में कोई भी प्रशासनिक आदेश को यूं सड़क पर कचरे की तरह न फेंक सके।
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