Ticker

6/recent/ticker-posts

सरकारी अस्पतालों में डॉक्टरों की मनमानी: मरीज भगवान भरोसे

 


सूरजपुर। जिले के सरकारी अस्पतालों में चिकित्सकों की कमी और मनमानी ने स्वास्थ्य सेवाओं को आईसीयू में पहुंचा दिया है। रामानुजनगर सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र इसका सबसे बड़ा उदाहरण है, जहां डॉक्टर सरकारी ड्यूटी से मुंह मोड़कर निजी क्लीनिकों में मोटी कमाई में जुटे हैं।

ड्यूटी टाइम का खुला उल्लंघन

नियमों के अनुसार डॉक्टरों को कम से कम 6 घंटे अस्पताल में सेवा देना अनिवार्य है, लेकिन यहां हालात बिल्कुल उलट हैं। स्थानीय लोगों का कहना है कि डॉक्टर सुबह 10 बजे पहुंचते हैं और दोपहर 1 बजे तक निजी क्लीनिक की राह पकड़ लेते हैं।

शाम की ओपीडी भगवान भरोसे

लंबे समय से शाम की ओपीडी लगभग बंद पड़ी है। इसकी वजह से गरीब और जरूरतमंद मरीज निजी क्लीनिकों में जाने को मजबूर हैं, जहां उन्हें मोटी रकम चुकानी पड़ रही है।

सरकारी वेतन, लेकिन जिम्मेदारी शून्य

हैरानी की बात यह है कि 50 हजार से लेकर 3 लाख रुपये तक मासिक वेतन पाने वाले डॉक्टर सरकारी जिम्मेदारियों को किनारे कर अवैध कमाई में मशगूल हैं। अस्पतालों में लगाया गया नवीन अटेंडेंस सिस्टम भी सिर्फ धूल खा रहा है।

शिकायतें बेअसर, कार्रवाई ठप

सूत्रों के अनुसार, इस लापरवाही और मनमानी की शिकायत मुख्य चिकित्सा एवं स्वास्थ्य अधिकारी तक कई बार पहुंची है, लेकिन अब तक कोई ठोस कार्रवाई नहीं हुई। नतीजा यह है कि डॉक्टरों के हौसले बुलंद हैं और गरीब मरीजों की जान सांसत में है।

निष्कर्ष

कुल मिलाकर स्थिति इतनी बदहाल है कि यह कहना गलत नहीं होगा— “जब डॉक्टर ही मरीजों को लूटें, तो गरीब की जान बचाए कौन?”

एक टिप्पणी भेजें

0 टिप्पणियाँ