सूरजपुर। सपहा गांव में न्याय और हक की लड़ाई अब सौ दिन का पड़ाव पार कर चुकी है। ग्रामीण लगातार सड़क पर बैठकर अपनी मांगों को लेकर धरना दे रहे हैं, लेकिन शासन-प्रशासन की ओर से अब तक कोई ठोस समाधान नहीं निकल सका है। लंबे समय से जारी इस आंदोलन ने अब ग्रामीणों के धैर्य को परखने के साथ-साथ प्रशासन की संवेदनशीलता पर भी सवाल खड़े कर दिए हैं।
धरना स्थल पर मौजूद ग्रामीणों का कहना है कि प्रशासन के केवल आश्वासन मिलते हैं, लेकिन जमीनी स्तर पर कोई कार्रवाई नहीं की गई। ग्रामीणों ने आरोप लगाया कि संकट के लिए जिम्मेदार कंपनियों ने नियमों का पालन नहीं किया और प्रभावितों को राहत तक नहीं दी। उनका सवाल है कि आखिर प्रशासन जनता के साथ है या कंपनियों के?
पूर्व जनपद सदस्य अभय प्रताप सिंह ने स्पष्ट चेतावनी दी कि यदि शासन-प्रशासन ने जल्द संज्ञान नहीं लिया तो ग्रामीण उग्र आंदोलन करने के लिए बाध्य होंगे। उन्होंने कहा कि सौ दिन से शांतिपूर्ण तरीके से संघर्ष कर रहे ग्रामीणों की अनदेखी लोकतांत्रिक मूल्यों पर सवाल खड़ा करती है।
ग्रामीणों का आक्रोश साफ झलक रहा है। उनका कहना है कि लोकतंत्र में जनता की आवाज इतनी कमजोर कैसे हो गई कि न्याय पाने में सौ दिन लग जाएं? अब वे केवल एक स्पष्ट और ठोस जवाब चाहते हैं।
धरना स्थल पर माहौल यह संदेश दे रहा है कि यदि प्रशासन ने शीघ्र कदम नहीं उठाए तो आने वाले दिनों में यह आंदोलन और तेज हो सकता है।
👉 यह संघर्ष अब केवल विरोध नहीं, बल्कि ग्रामीणों के धैर्य, उम्मीद और हक की लड़ाई का प्रतीक बन गया है।
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