बलरामपुर। जिले के शंकरगढ़ थाना क्षेत्र में फर्जी दस्तावेजों का बड़ा खेल उजागर हुआ है। कुसमी ब्लॉक के चार ग्राम पंचायतों में आंगनबाड़ी सहायिका पद पर भर्ती के दौरान चार महिलाओं ने नकली कक्षा 8वीं की मार्कशीट लगाकर नौकरी हासिल कर ली। कलेक्टर के आदेश पर हुई जांच में इसे संगठित आपराधिक षड्यंत्र करार दिया गया। पुलिस ने धोखाधड़ी, कूटरचना और साजिश की धाराओं में केस दर्ज कर आरोपियों की तलाश शुरू कर दी है। साथ ही फर्जी मार्कशीट बनाने वाले स्कूल और अन्य संलिप्तों पर भी शिकंजा कसने की तैयारी है।
मामला जारगीम, महुआडीह, कोठली और बेलकोना ग्राम पंचायतों का है। जांच में सामने आया कि जारगीम की अरमाना (पिता शमशेर आलम), महुआडीह की रीजवाना (पिता अमरुद्दीन), कोठली की प्रियंका यादव (पिता आशीष यादव) और बेलकोना की सुशीला सिंह (पिता उमाशंकर सिंह) ने अजीजी पब्लिक स्कूल, भगवतपुर (कुसमी) की फर्जी 8वीं क्लास की मार्कशीट जमा कर नौकरी पाई थी।
इस फर्जीवाड़े का पर्दाफाश तब हुआ जब जारगीम निवासी गायत्री ने कलेक्टर राजेंद्र कटारा से शिकायत की। कलेक्टर ने महिला एवं बाल विकास अधिकारी बबली यादव को जांच का जिम्मा सौंपा। बबली यादव की रिपोर्ट के आधार पर जिला शिक्षा अधिकारी और शंकरगढ़ एसडीएम की टीम ने भर्ती प्रक्रिया की गहन जांच की।
20 अगस्त को आई जांच रिपोर्ट में स्पष्ट हो गया कि यह महज गलती नहीं, बल्कि एक सुनियोजित षड्यंत्र है। फिलहाल पुलिस ने भारतीय दंड संहिता की धारा 420 (धोखाधड़ी), 467 (जालसाजी), 468 (धोखाधड़ी के लिए कूटरचना) और 120बी (आपराधिक साजिश) के तहत अपराध दर्ज किया है। इन धाराओं के तहत आरोपियों को 7 से 10 साल तक की सजा और जुर्माने का प्रावधान है।
यह घटना ग्रामीण इलाकों में फर्जी दस्तावेजों के जरिए सरकारी नौकरियां हथियाने की प्रवृत्ति को उजागर करती है। स्थानीय लोगों ने प्रशासनिक कार्रवाई की सराहना की है, लेकिन यह सवाल भी उठाया है कि भर्ती प्रक्रिया में इतनी बड़ी चूक आखिर कैसे हो गई
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