कोरिया। छत्तीसगढ़ में तहसीलदार संघ की हड़ताल का व्यापक असर जमीन से जुड़े मामलों पर देखने को मिल रहा है। प्रदेशभर में तहसीलदारों और नायब तहसीलदारों की अनिश्चितकालीन हड़ताल के चलते नामांतरण, बंटवारा, ऋण पुस्तिका जारी करना, जाति/निवासी/आय प्रमाण पत्र सहित राजस्व संबंधी सैकड़ों कार्य ठप पड़ गए हैं, जिससे आम जनता को भारी परेशानी का सामना करना पड़ रहा है।
जनता भटक रही, राजस्व विभाग ठप
राज्य के कई जिलों से खबरें आ रही हैं कि लोग पिछले कई दिनों से तहसील कार्यालयों के चक्कर काट रहे हैं, लेकिन अधिकारी अनुपस्थित हैं और कोई कार्य नहीं हो रहा। राजस्व न्यायालयों में भी सुनवाई रुकी हुई है, जिससे किसान, व्यवसायी और आम नागरिक प्रभावित हो रहे हैं।
क्या है मांगें?
तहसीलदार संघ की प्रमुख मांगों में राजपत्रित अधिकारी का दर्जा, पदोन्नति की प्रक्रिया में पारदर्शिता, वेतन विसंगति दूर करना, और संविलियन शामिल हैं। संघ ने चेतावनी दी है कि जब तक उनकी मांगें पूरी नहीं होतीं, तब तक हड़ताल जारी रहेगी।
सरकार की चुप्पी चिंता का विषय
राज्य सरकार की ओर से अब तक इस हड़ताल को लेकर कोई ठोस पहल नहीं की गई है। अधिकारियों की अनुपस्थिति से न केवल प्रशासनिक कामकाज प्रभावित हो रहा है, बल्कि आम जनता का भरोसा भी डगमगा रहा है।
ग्रामीण क्षेत्रों में अधिक असर
ग्रामीण क्षेत्रों में किसानों को खरीफ फसल के लिए ऋण पुस्तिका की आवश्यकता होती है, लेकिन तहसीलदारों की हड़ताल के चलते बैंक ऋण स्वीकृत नहीं हो पा रहे हैं। इससे खेती-किसानी पर भी संकट मंडरा रहा है।
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