कोरिया। जिला मुख्यालय की जीवनरेखा मानी जाने वाली एनएच-43 पर बने गेज नदी पुल की गुणवत्ता पर अब सवाल खड़े हो रहे हैं। लगभग 313.64 लाख रुपये की लागत से बने इस पुल पर बनी सड़क को छः माह भी नहीं हुए, लेकिन पहली ही बारिश में यह सड़क जानलेवा गड्ढे में तब्दील हो गई। इस गड्ढे की चपेट में आकर एक महिला गंभीर रूप से घायल हो गई, जिसे तत्काल जिला अस्पताल में भर्ती कराया गया। स्थानीय लोगों का कहना है कि निर्माण के समय ही घटिया सामग्री के उपयोग की आशंका व्यक्त की जा रही थी, लेकिन अब हालात ने इस आशंका को हकीकत में बदल दिया है।
पुल पर सुरक्षा के कोई इंतजाम नही
इतनी बड़ी लागत से बने इस पुल पर रात के समय लाइट की कोई व्यवस्था नहीं है, जिससे रात में दुर्घटनाओं की आशंका और बढ़ जाती है। अंधेरे में वाहन चालकों को गड्ढे या पुल की स्थिति का अंदाजा नहीं लग पाता।
स्थानीयों में आक्रोश
स्थानीय नागरिकों और राहगीरों में इस पूरे मामले को लेकर भारी नाराजगी है। लोगों ने मांग की है कि निर्माण एजेंसी और विभागीय अधिकारियों पर कार्रवाई की जाए, और इस पुल की गुणवत्ता की निष्पक्ष जांच कराई जाए।
प्रशासन की चुप्पी
अब तक प्रशासन की ओर से इस मामले में कोई स्पष्ट बयान नहीं आया है। सवाल यह है कि जब करोड़ों की लागत से बना पुल कुछ महीनों में ही जवाब दे दे, तो इसका जिम्मेदार कौन है?
मांगें
गड्ढे की तत्काल मरम्मत
लाइट की व्यवस्था
गुणवत्ता जांच के आदेश
दोषियों पर सख्त कार्रवाई
गौ सेवक अनुराग दुबे ने जताई चिंता
स्थानीय गौ सेवक अनुराग दुबे ने सड़क की हालत पर तीखी प्रतिक्रिया देते हुए कहा,
> "यहाँ सड़क पर गड्ढे हैं या गड्ढों पर सड़क — अब तो फर्क करना मुश्किल हो गया है। महज छः माह में ही सड़क की ऐसी दुर्दशा यह दर्शाती है कि निर्माण कार्य में भारी भ्रष्टाचार हुआ है।"
उन्होंने यह भी कहा कि यह जनजीवन के लिए खतरा बन गया है और शासन-प्रशासन को तत्काल कार्रवाई करनी चाहिए।
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