लंबे अरसे से सुलग रही आग, जहरीले धुएं ने बस्तियों को किया बेहाल, प्रबंधन की चुप्पी पर भारी सवाल
सूरजपुर। दक्षिण पूर्वी कोलफील्ड्स लिमिटेड (एसईसीएल) के बिश्रामपुर क्षेत्र की आमगांव खदान इन दिनों आग की लपटों की चपेट में है। खदान के तीनों कोल स्टॉक में पिछले एक महीने से धधक रही आग ने न केवल प्रबंधन की लापरवाही को उजागर किया है, बल्कि पर्यावरण और स्थानीय बस्तियों के लिए गंभीर संकट पैदा कर दिया है। जहरीले धुएं की चादर ने आसपास के गांवों में सांस लेना मुश्किल कर दिया है, जबकि करोड़ों रुपये का कोयला खाक हो रहा है। श्रमिकों और ग्रामीणों में भय और आक्रोश का माहौल है, और सवाल उठ रहा है कि आखिर कब तक यह आग की चिंगारी तबाही मचाती रहेगी...?
कुलमिलाकर आमगांव खदान की यह आग एसईसीएल प्रबंधन की कार्यक्षमता पर गहरे सवाल खड़े कर रही है। यह न केवल एक औद्योगिक विफलता है, बल्कि पर्यावरण और जनस्वास्थ्य के लिए एक चेतावनी भी है। अगर समय रहते प्रभावी कदम नहीं उठाए गए, तो यह आग न केवल कोयले को जलाएगी, बल्कि हजारों लोगों की जिंदगी को भी प्रभावित कर सकती है
आग का कहर, प्रबंधन की निष्क्रियता
आमगांव खदान के कोल स्टॉक में रखा लाखों टन कोयला पिछले कई हफ्तों से सुलग रहा है। छोटी-सी चिंगारी से शुरू हुई यह आग अब बेकाबू हो चुकी है, जिससे खदान परिसर में गर्म हवा, घना धुआं और जलते कोयले की तीखी गंध ने वातावरण को असहनीय बना दिया है। स्थानीय श्रमिकों और ग्रामीणों ने बार-बार प्रबंधन को इसकी सूचना दी, लेकिन न तो आग बुझाने के लिए कोई प्रभावी कदम उठाया गया और न ही कोई ठोस योजना सामने आई। नतीजतन, यह आग अब विकराल रूप ले चुकी है, जो न केवल आर्थिक नुकसान का सबब बन रही है, बल्कि पर्यावरण और मानव स्वास्थ्य को भी भारी क्षति पहुंचा रही है।
पर्यावरण और स्वास्थ्य पर मंडराता खतरा
कोल स्टॉक से उठ रहा जहरीला धुआं आमगांव और आसपास के गांवों की हवा को प्रदूषित कर रहा है। विशेषज्ञों के अनुसार, कोयले की आग से निकलने वाला धुआं कार्बन मोनोऑक्साइड, सल्फर डाइऑक्साइड और अन्य हानिकारक गैसों से युक्त होता है, जो सांस संबंधी बीमारियों, अस्थमा, ब्रोंकाइटिस और आंखों में जलन का कारण बनता है। स्थानीय निवासी ने बताया, "धुआं इतना घना है कि बच्चे और बुजुर्ग रात को खांसी और सांस की तकलीफ से जूझ रहे हैं। हमने कई बार शिकायत की, लेकिन प्रबंधन सिर्फ आश्वासन देता है।" ग्रामीणों का कहना है कि यह धुआं न केवल उनकी सेहत को नुकसान पहुंचा रहा है, बल्कि खेतों और फसलों पर भी बुरा असर डाल रहा है।
प्रबंधन की लापरवाही पर उंगलियां
एसईसीएल प्रबंधन की निष्क्रियता इस मामले को और गंभीर बना रही है। एक ओर जहां कोयले की आग से करोड़ों की संपत्ति जलकर राख हो रही है, वहीं कर्मचारियों की सुरक्षा और आसपास के निवासियों का स्वास्थ्य खतरे में है। एक वरिष्ठ अधिकारी ने नाम न छापने की शर्त पर बताया कि आग कोयले में स्वतः प्रज्वलन (इंटरनल हीटिंग) के कारण लगी है, और इसे बुझाने के लिए प्रयास जारी हैं। लेकिन स्थानीय लोगों का कहना है कि ये प्रयास केवल कागजों तक सीमित हैं। आग बुझाने के लिए न पर्याप्त संसाधन जुटाए गए हैं और न ही कोई दीर्घकालिक रणनीति बनाई गई है।
विशेषज्ञों की चेतावनी, समाधान की जरूरत
कोयला विशेषज्ञों का कहना है कि कोल स्टॉक में आग का प्रमुख कारण अनुचित भंडारण और नियमित निगरानी की कमी है। कोयले को लंबे समय तक खुले में रखने और उसकी नमी व तापमान की जांच न करने से स्वतः प्रज्वलन की स्थिति बनती है। विशेषज्ञों ने सुझाव दिया कि आग पर काबू पाने के लिए कोल स्टॉक को छोटे हिस्सों में बांटना, नियमित पानी का छिड़काव, मिट्टी की परत चढ़ाना और अग्निशमन उपकरणों का तत्काल उपयोग जरूरी है। इसके अलावा, भविष्य में ऐसी घटनाओं को रोकने के लिए कड़े भंडारण मानकों का पालन करना होगा।
ग्रामीणों की मांग, प्रशासन की जिम्मेदारी
आमगांव और आसपास के गांवों के निवासियों ने प्रशासन से तत्काल हस्तक्षेप की मांग की है। उनका कहना है कि अगर जल्द ही आग पर काबू नहीं पाया गया, तो स्थिति और भयावह हो सकती है।
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