अम्बिकापुर। सरगुजा जिले में मानव तस्करी के एक दिल दहला देने वाले मामले का पर्दाफाश करते हुए पुलिस ने सात आरोपियों को गिरफ्तार कर एक संगठित अपराधी गिरोह को ध्वस्त किया है। इस सनसनीखेज मामले में चार अंतर्राज्यीय तस्करों सहित कुल सात आरोपियों को हिरासत में लिया गया, जबकि पीड़ित युवती को उत्तर प्रदेश के जालौन जिले से सकुशल बरामद कर लिया गया। पुलिस ने आरोपियों के कब्जे से घटना में प्रयुक्त चार मोबाइल, पीड़िता का एक मोबाइल और 3100 रुपये नकद जब्त किए। मामले में फरार अन्य आरोपियों की तलाश के लिए विशेष टीमें गठित की गई हैं।वरिष्ठ पुलिस अधीक्षक सरगुजा आईपीएस श्री राजेश कुमार अग्रवाल के कुशल मार्गदर्शन में गठित विशेष पुलिस टीम ने इस जघन्य अपराध के खिलाफ त्वरित और कठोर कार्रवाई की। थाना मणिपुर पुलिस ने न केवल पीड़िता को रेस्क्यू किया, बल्कि इस संगठित मानव तस्करी नेटवर्क की जड़ें उखाड़ने में सफलता हासिल की। यह कार्रवाई अपराधियों के लिए एक कड़ा संदेश है कि सरगुजा पुलिस ऐसे जघन्य अपराधों को किसी भी कीमत पर बर्दाश्त नहीं करेगी।
अपराध की शुरुआत: लालच का जाल और साजिश
मामले की शुरुआत 21 जून 2025 को हुई, जब पीड़िता की चचेरी बहन ने थाना मणिपुर में शिकायत दर्ज कराई। उसने बताया कि उसकी बहन, जो छह महीने पहले काम की तलाश में अंबिकापुर आई थी, को स्थानीय होटल में वेटर की नौकरी मिली थी। वह होटल मालिक द्वारा उपलब्ध कराए गए किराए के कमरे में रह रही थी। 5 जून 2025 को पीड़िता से आखिरी बार मुलाकात हुई थी, लेकिन 19 जून को एक अज्ञात नंबर से फोन आया, जिसमें दावा किया गया कि पीड़िता उनके कब्जे में है और उसे छुड़ाने के लिए एक लाख रुपये की मांग की गई। पीड़िता ने फोन पर बताया कि स्थानीय निवासी काबिल अंसारी, उसकी पत्नी हीना और रामेश्वरी सोनवानी ने उसे अधिक पैसे का काम दिलाने का झांसा देकर उत्तर प्रदेश ले जाकर एक लाख रुपये में बेच दिया।शिकायत के आधार पर थाना मणिपुर में अपराध क्रमांक 184/25, धारा 143(2), 87, 3(5) बी.एन.एस. के तहत मामला दर्ज कर विवेचना शुरू की गई। पुलिस ने तत्काल तकनीकी और खुफिया जानकारी जुटाकर आरोपियों की पहचान की और कार्रवाई शुरू की।
साजिश का खुलासा: अंतर्राज्यीय तस्करी का नेटवर्क
विवेचना के दौरान पुलिस ने स्थानीय आरोपियों काबिल अंसारी (31, चठिरमा, गांधीनगर), उसकी पत्नी हीना (29, टपरकेला, लखनपुर) और सास रामेश्वरी सोनवानी (51, टपरकेला, लखनपुर) को 21 जून को गिरफ्तार किया। पूछताछ में काबिल ने खुलासा किया कि उसकी दो साल पहले भिंड, मध्य प्रदेश के सुरेंद्र कुशवाहा से मुलाकात हुई थी, जो शादी के लिए लड़कियों की तलाश में गढ़वा, झारखंड आया था। सुरेंद्र ने काबिल को लालच दिया कि अगर वह कोई लड़की उपलब्ध कराएगा, तो उसे अच्छा पैसा मिलेगा।करीब 20-22 दिन पहले पीड़िता, जो काबिल की पत्नी की सहेली थी, उनके घर आई थी। काबिल ने उसे देखते ही बेचने की योजना बनाई और अपनी पत्नी हीना व सास रामेश्वरी को इसमें शामिल कर लिया। सुरेंद्र के कहने पर काबिल, हीना और रामेश्वरी ने पीड़िता को कानपुर, उत्तर प्रदेश ले जाया। वहां सुरेंद्र कुशवाहा और उसके साथी सकील खान ने पीड़िता को औरैया भेजा, जहां रामेश्वरी ने खुद को पीड़िता की मां बनाकर प्रस्तुत किया।
जबरन शादी और दुष्कर्म का क्रूर चेहरा
औरैया में सुरेंद्र और सकील ने पीड़िता को सुमित राठौर (26, सरावन, जालौन) से जबरन शादी करने के लिए मजबूर किया। पीड़िता के मना करने पर उसे जान से मारने की धमकी दी गई। मंदिर में सुमित और उसके पिता राकेश राठौर (52, सरावन, जालौन) की मौजूदगी में जबरन शादी कराई गई। इसके बदले सुरेंद्र ने रामेश्वरी को 40,000 रुपये दिए, और पीड़िता का मोबाइल छीन लिया ताकि वह किसी से संपर्क न कर सके।
पुलिस ने सुरेंद्र कुशवाहा (26, भिंड, मध्य प्रदेश), सकील खान (38, राजपुर, कानपुर), सुमित राठौर और राकेश राठौर को भी गिरफ्तार किया। पूछताछ में पीड़िता ने बताया कि शादी के बाद सुमित और राकेश ने उसके साथ बार-बार दुष्कर्म किया। जब उसने सरावन गांव से भागने की कोशिश की, तो उसे पकड़कर मारपीट की गई।
पुलिस की मुस्तैदी: रेस्क्यू और बरामदगी
पुलिस ने पीड़िता को सरावन, जालौन से रेस्क्यू किया और आरोपियों के कब्जे से चार मोबाइल, पीड़िता का एक मोबाइल और 3100 रुपये नकद बरामद किए। पूछताछ में पता चला कि 70,000 रुपये में पीड़िता को बेचा गया था, जिसमें से 40,000 रुपये रामेश्वरी को, 20,000 रुपये सुरेंद्र ने और 10,000 रुपये सकील ने रखे। शेष राशि को आरोपियों ने खाने-पीने और घूमने में खर्च कर दिया। प्रकरण में धारा 137(2), 140(3), 142, 144(2), 64(2)(ड), 69 बी.एन.एस. जोड़ी गई हैं, और सभी आरोपियों को न्यायालय में पेश किया गया है।
पुलिस टीम की सराहनीय भूमिका
इस जटिल और संवेदनशील मामले में थाना प्रभारी मणिपुर निरीक्षक अश्वनी सिंह, महिला थाना प्रभारी उप निरीक्षक सुनीता भारद्वाज, सहायक उप निरीक्षक धीरज गुप्ता, प्रधान आरक्षक भोजराज पासवान, महिला आरक्षक सुमन तिग्गा, आरक्षक सत्येंद्र दुबे, अनिल सिंह, अतुल शर्मा, संजीव चौबे, अनुज जायसवाल, रमेश राजवाड़े और थाना गोहन, उत्तर प्रदेश के प्रधान आरक्षक धीरेंद्र राय ने अहम भूमिका निभाई। इसके साथ ही पुलिस ने फरार आरोपियों की तलाश के लिए विशेष टीमें गठित की हैं। यह मामला न केवल मानव तस्करी के खिलाफ एक बड़ी जीत है, बल्कि समाज में जागरूकता फैलाने और ऐसी घटनाओं को रोकने के लिए एक मिसाल भी है। सरगुजा पुलिस की इस कार्रवाई ने न केवल पीड़िता को न्याय दिलाया, बल्कि संगठित अपराध के खिलाफ एक मजबूत संदेश भी दिया है।
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