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भूमि सीमांकन प्रक्रिया में बदलाव : अब पटवारी नहीं करेंगे चौहद्दी तैयार, संघ ने कलेक्टर को सौंपा ज्ञापन

 


बैकुंठपुर। कोरिया जिले के पटवारी संघ ने भूमि खरीदी-बिक्री और पंजीयन प्रक्रिया में बड़ा बदलाव करते हुए चौहद्दी तैयार नहीं करने का निर्णय लिया है। संघ का कहना है कि भूमि क्रय-विक्रय के दौरान चौहद्दी तैयार करने का कोई वैधानिक प्रावधान न तो छत्तीसगढ़ भू-राजस्व संहिता में है और न ही पटवारी नियमावली में। इसके बावजूद उप-पंजीयक कार्यालयों में पटवारियों से चौहद्दी की मांग की जा रही है, जिससे न केवल अनावश्यक दबाव की स्थिति बनती है, बल्कि कई बार विवाद भी उत्पन्न होते हैं।


पटवारी संघ जिला शाखा कोरिया ने इस संबंध में शुक्रवार को कलेक्टर को ज्ञापन सौंपा। संघ ने अपने ज्ञापन में उल्लेख किया कि उप-पंजीयक कार्यालयों द्वारा भूमि पंजीयन के दौरान पटवारियों से चौहद्दी की मांग की जा रही है, जबकि यह कार्य राजस्व संहिता में निर्धारित नहीं है। संघ ने यह भी बताया कि भूमि अभिलेखों से संबंधित सभी कार्य राज्य शासन के आदेशानुसार वर्ष 2014 से पूरी तरह कंप्यूटरीकृत माध्यम से किए जा रहे हैं। नक्शा, खतौनी, बी-1 और अन्य सभी दस्तावेज ऑनलाइन प्रणाली से जारी होते हैं। ऐसे में हाथ से तैयार की जाने वाली चौहद्दी की मांग न केवल शासन के आदेशों का उल्लंघन है, बल्कि भ्रष्टाचार और भ्रम की स्थिति भी पैदा कर सकती है।

संघ के पदाधिकारियों ने बताया कि इस विषय पर 4 नवंबर को आयोजित बैठक में सर्वसम्मति से निर्णय लिया गया कि अब जिले का कोई भी पटवारी भूमि क्रय-विक्रय के लिए चौहद्दी तैयार नहीं करेगा। उन्होंने कहा कि यदि शासन स्तर से इस संबंध में कोई स्पष्ट दिशा-निर्देश नहीं दिया जाता है, तो संघ इस निर्णय पर कायम रहेगा।

संघ ने कलेक्टर से मांग की है कि वे जिले के सभी उप-पंजीयक कार्यालयों को निर्देश जारी करें कि भूमि पंजीयन प्रक्रिया में पटवारियों पर चौहद्दी तैयार करने का दबाव न डाला जाए। साथ ही यह सुनिश्चित किया जाए कि संपूर्ण पंजीयन प्रक्रिया शासन की ऑनलाइन प्रणाली के माध्यम से ही संपन्न हो।

पटवारी संघ का यह निर्णय भूमि खरीदी-बिक्री की प्रक्रिया में एक अहम बदलाव साबित हो सकता है। अब सीमांकन से जुड़ा कार्य पूरी तरह राजस्व विभाग की तकनीकी प्रणाली के तहत किया जाएगा, जिससे पारदर्शिता बढ़ेगी और विवादों की संभावना घटेगी। संघ का कहना है कि उनका उद्देश्य शासन के आदेशों का पालन करते हुए प्रशासनिक कार्यप्रणाली को पारदर्शी और सरल बनाना है, ताकि आम जनता को बेहतर सुविधा मिल सके और किसी भी प्रकार के दुरुपयोग की गुंजाइश न रहे।

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