Ticker

6/recent/ticker-posts

शहर के नामी डॉक्टर पर शासकीय भूमि कब्जे का आरोप, प्रशासन ने शुरू की जांच

 


बैकुण्ठपुर। शहर में शासकीय भूमि पर अवैध कब्जे का एक बड़ा मामला सामने आया है। जानकारी के अनुसार, खसरा नंबर 781 रकबा 0.240 हेक्टेयर भूमि जो कि राजस्व अभिलेखों में शासकीय दर्ज है, उस पर शहर के एक प्रसिद्ध डॉक्टर द्वारा कथित रूप से अतिक्रमण कर भवन निर्माण कर लिया गया है। मामले की जानकारी मिलते ही प्रशासन हरकत में आया और हल्का पटवारी को जांच कर रिपोर्ट प्रस्तुत करने के निर्देश दिए गए हैं।

प्राप्त जानकारी के अनुसार, उक्त भूमि नगर सीमा के भीतर स्थित नही है, बल्कि राष्ट्रीय राज्य मार्ग से लगी हूई है। जिस पर लंबे समय से कब्जा कर निजी निर्माण किया गया है। स्थानीय नागरिकों ने बताया कि शासन की भूमि पर इस प्रकार से अवैध कब्जा प्रशासनिक व्यवस्था पर सवाल खड़े करता है। उन्होंने कहा कि आम नागरिक या गरीब व्यक्ति यदि कुछ फीट भूमि पर झोपड़ी डाल देता है, तो प्रशासन तुरंत बुलडोजर चलाकर उसे उजाड़ देता है, लेकिन जब बात प्रभावशाली या संपन्न व्यक्ति की आती है, तो कार्रवाई “जांच” के नाम पर ठंडी पड़ जाती है।

सूत्रों ने बताया अब एक बार फिर से शासकीय भूमि पर अवैध निर्माण का मामला सामने आने से प्रशासन की निष्पक्षता पर सवाल उठने लगे हैं। जनता यह जानना चाहती है कि क्या प्रशासन इस बार सख्त रुख अपनाएगा या फिर मामला फाइलों में ही दब जाएगा।

राजस्व विभाग के एक अधिकारी ने बताया कि पटवारी को मौके का सीमांकन कर वास्तविक स्थिति की पुष्टि करने का निर्देश दिया गया है। यदि जांच में भूमि पर अवैध कब्जा प्रमाणित होता है, तो नियमों के तहत अतिक्रमण हटाने और संबंधित व्यक्ति के खिलाफ कार्रवाई की जाएगी।

स्थानीय लोगों ने सोशल मीडिया पर भी इस मामले को प्रमुखता से उठाया है। उनका कहना है कि कानून सबके लिए समान होना चाहिए — चाहे वह गरीब हो या प्रतिष्ठित डॉक्टर। यदि गरीब का घर तोड़ा जा सकता है, तो प्रभावशाली व्यक्ति के खिलाफ भी वैसी ही कार्यवाही की जानी चाहिए।

पूर्व के कई मामलों में देखा गया है कि राजस्व विभाग ने जांच शुरू तो की, परंतु राजनीतिक दबाव या रसूखदारों के प्रभाव के चलते कार्यवाही नहीं हो पाई। अब यह देखना बाकी है कि प्रशासन वास्तव में निष्पक्षता दिखाता है या यह मामला भी लंबित फाइलों की सूची में जुड़ जाता है। फिलहाल सभी की निगाहें पटवारी की जांच रिपोर्ट और जिला प्रशासन की आगामी कार्रवाई पर टिकी हुई हैं। जनता उम्मीद कर रही है कि शासन की भूमि को बचाने के लिए प्रशासन इस बार बिना किसी दबाव के ठोस कदम उठाएगा।

एक टिप्पणी भेजें

0 टिप्पणियाँ