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शिक्षा माफिया की सनसनीखेज करतूत, नोडल प्राचार्य की आईडी हैक कर हड़पी RTE राशि

 


सूरजपुर। जिले में शिक्षा माफिया ने एक बार फिर अपनी काली करतूतों से सबको हैरान कर दिया है। निजी स्कूल संचालकों ने आरटीई (राइट टू एजुकेशन) की प्रतिपूर्ति राशि हड़पने के लिए नोडल प्राचार्य की लॉगिन आईडी और पासवर्ड हैक कर लिया। इस साइबर अपराध के जरिए उन्होंने बिना अनुमति के दावा सत्यापन की प्रक्रिया पूरी कर ली। इस सनसनीखेज खुलासे के बाद जिला शिक्षा अधिकारी (डीईओ) ने चार निजी स्कूलों के प्राचार्यों को कारण बताओ नोटिस जारी किया है। बहरहाल जिला प्रशासन और शिक्षा विभाग अब इस मामले की गहन जांच में जुट गया है। यह देखना बाकी है कि क्या दोषी स्कूलों के खिलाफ केवल प्रशासनिक कार्रवाई होगी या साइबर अपराध के तहत पुलिस कार्रवाई भी शुरू की जाएगी। फिलहाल, यह घटना सूरजपुर जिले में शिक्षा व्यवस्था की पारदर्शिता पर सवाल खड़े कर रही है। 

यह है पूरा मामला...?

जानकारी के मुताबिक, कुछ निजी स्कूलों ने राज्य शासन की शिक्षा गारंटी योजना के पोर्टल पर अनधिकृत रूप से लॉगिन कर 31 जुलाई को दावा सत्यापन कर लिया। यह प्रक्रिया नोडल प्राचार्य की जानकारी और सहमति के बिना की गई। विभाग ने इसे गंभीर अनुशासनहीनता और धोखाधड़ी करार देते हुए त्वरित कार्रवाई शुरू की है। जिन स्कूलों पर यह आरोप लगा है, उनमें इंडियन पब्लिक स्कूल (हिंदी व अंग्रेजी माध्यम, मानी), गुरुकुल पब्लिक स्कूल (हिंदी व अंग्रेजी माध्यम, कुरुवां), ओमकार पब्लिक स्कूल (अंग्रेजी माध्यम, कोरेया) और ज्ञानगंगा पब्लिक स्कूल (अंग्रेजी माध्यम, कुरुवां) शामिल हैं।

इस तरह होता है प्रतिपूर्ति का खेल...? 

राज्य शासन निर्धन और वंचित वर्ग के बच्चों की शिक्षा के लिए निजी स्कूलों को छात्रवृत्ति और अन्य अनुदान की प्रतिपूर्ति राशि प्रदान करता है। इसके लिए स्कूलों को ऑनलाइन आवेदन करना होता है, जिसका सत्यापन नोडल प्राचार्य द्वारा किया जाता है। इस प्रक्रिया में पारदर्शिता और जवाबदेही सुनिश्चित करने के लिए सख्त नियम बनाए गए हैं। लेकिन कुछ स्कूल संचालकों ने नोडल प्राचार्य की लॉगिन आईडी और पासवर्ड हैक कर सिस्टम के साथ छेड़छाड़ की, जो न केवल अनैतिक है, बल्कि साइबर अपराध की श्रेणी में भी आता है।

साइबर अपराध का भी मामला

जानकारों का कहना है कि नोडल प्राचार्य के लॉगिन डिटेल्स का दुरुपयोग केवल आर्थिक गड़बड़ी तक सीमित नहीं है, बल्कि यह एक संगठित साइबर अपराध है। विशेषज्ञों का मानना है कि इस मामले में केवल नोटिस तक सीमित रहना पर्याप्त नहीं है। दोषी स्कूलों के खिलाफ एफआईआर दर्ज कर कानूनी कार्रवाई की जानी चाहिए, ताकि भविष्य में ऐसी घटनाओं पर अंकुश लग सके।

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