Ticker

6/recent/ticker-posts

भट्टीपारा पानी टंकी में नया नियम बनाकर प्यासों को लौटाया, आधी रात को नेताओं के हस्तक्षेप के बाद दिया पीने का पानी — कलेक्टर के आदेश की खुली अनदेखी

 



कोरिया। कलेक्टर कोरिया के "आवा पानी झोकी" अभियान के बीच नगर पालिका बैकुण्ठपुर में पानी वितरण व्यवस्था की हकीकत उजागर करने वाला चौंकाने वाला मामला सामने आया है। भट्टीपारा पानी टंकी में जुनापारा निवासी अबरार खान ने अचानक नया नियम बताकर लोगों को पानी देने से मना कर दिया, जबकि इससे पहले कभी ऐसा कोई नियम लागू नहीं था।

घटना देर रात की है। पानी टंकी पर पीने का पानी लेने पहुंचे स्थानीय लोग हैरान रह गए जब उन्हें कहा गया कि “नए नियम” के तहत यहां से पानी नहीं मिलेगा। यह सुनकर लोग उलझन में पड़ गए कि आखिर यह नियम कब और किसने बनाया? टंकी के सामने फुटपाथ पर दुकान करने वाला एक लड़का भी डरते-डरते बोतल भरने की कोशिश कर रहा था, मानो पानी भरना कोई गुनाह हो।

लोगों की परेशानी बढ़ती देख भाजपा जिला उपाध्यक्ष और सरल, सहज व धार्मिक प्रवृत्ति के नेता शैलेश शिवहरे ने तत्काल फोन कर हस्तक्षेप किया। वहीं कांग्रेस के तेज-तर्रार पूर्व पार्षद छोटे खान खुद मौके पर पहुंचे। दोनों नेताओं के प्रयास के बाद ही पानी मिल सका और लोगों को राहत मिली।

मामले ने कई गंभीर सवाल खड़े कर दिए हैं—

जब कलेक्टर कोरिया का स्पष्ट आदेश है कि आवा पानी झोकी अभियान के तहत हर प्यासे तक पानी पहुंचना चाहिए, तो बीच में नया नियम बनाकर पानी देने से रोकने की हिम्मत किसने दी?

नगर पालिका के जिम्मेदार अधिकारी और कर्मचारी इस तरह के आदेश की अवहेलना क्यों कर रहे हैं?

क्या यह लापरवाही है, मनमानी है या किसी खास व्यक्ति को बचाने की कोशिश?

स्थानीय लोगों का कहना है कि अगर नेताओं का हस्तक्षेप न होता तो शायद उन्हें रातभर पानी के लिए भटकना पड़ता। यह घटना न सिर्फ प्रशासन की कार्यप्रणाली पर सवाल खड़े करती है, बल्कि यह भी बताती है कि जमीनी स्तर पर अभियान और आदेश के बीच कितनी बड़ी खाई है।
नगर पालिका बैकुण्ठपुर की पानी फिल्टर व्यवस्था पर पहले भी सवाल उठते रहे हैं। अब इस ताज़ा प्रकरण ने यह साफ कर दिया है कि अगर प्रशासन सख्ती से निगरानी नहीं करेगा तो आवा पानी झोकी जैसे अभियान सिर्फ कागज़ों पर ही रह जाएंगे और आमजन की प्यास बुझाने का सपना अधूरा रह जाएगा।

एक टिप्पणी भेजें

0 टिप्पणियाँ