कोरिया। जिला चिकित्सालय में दवाइयों के भंडारण को लेकर गंभीर लापरवाही सामने आई है। विश्वसनीय सूत्रों के अनुसार जिला अस्पताल की दवाइयाँ वर्तमान में बैकुण्ठपुर से लगभग 6–7 किलोमीटर दूर बहिमनदांड स्थित एक निजी गोदाम में रखी जा रही हैं। यह व्यवस्था साफ तौर पर शासकीय नियमों के खिलाफ है, क्योंकि गाइडलाइन के मुताबिक दवाइयों का भंडारण जिला चिकित्सालय से 4–5 किलोमीटर के दायरे में ही होना चाहिए।
📌 नियम और कानून क्या कहते हैं?
Drugs and Cosmetics Act, 1940 व Rules, 1945 (Rule 65):
दवाइयाँ केवल लाइसेंस प्राप्त, सुरक्षित और मानक सुविधा वाले स्थल पर ही रखी जा सकती हैं। भंडारण स्थल पर 24 घंटे सुरक्षा (गार्ड), तापमान नियंत्रण, नमी व कीड़े से बचाव की व्यवस्था अनिवार्य है।
CGMSC (छत्तीसगढ़ मेडिकल सर्विसेज़ कॉर्पोरेशन) SOP:
जिला अस्पताल की दवाइयाँ अस्पताल परिसर या अधिकतम 5 किलोमीटर के दायरे में स्वीकृत गोदाम में ही रखी जानी चाहिए। बिना गार्ड और बिना मानक सुविधा के दवाइयाँ रखना पूरी तरह से उल्लंघन है।
👉 बहिमनदांड में दवाइयों का स्टॉक रखना स्पष्ट तौर पर Rule 65, Section 18 of Drugs and Cosmetics Act और CGMSC गाइडलाइन का उल्लंघन है।
❓ बड़े सवाल
क्या जिला चिकित्सालय का प्रबंधन जानबूझकर नियमों की अनदेखी कर रहा है?
क्या गोदाम संचालक की पहुंच इतनी ऊँची है कि नियमों को ताक पर रख दिया गया है?
या फिर यह पूरा निर्णय किसी राजनीतिक दबाव या स्वास्थ्य मंत्री की सिफारिश से लिया गया है?
यदि नहीं, तो क्या CGMSC ने लिखित अनुमति दी है कि दवाइयाँ अस्पताल से 6–7 किलोमीटर दूर भी रखी जा सकती हैं?
⚠️ मरीजों की जान से खिलवाड़
इमरजेंसी स्थिति में दवाइयाँ तुरंत अस्पताल तक नहीं पहुँच पाएंगी।
गोदाम में कोई गार्ड या सुरक्षा व्यवस्था नहीं है, जिससे चोरी, नमी और दवाइयों के खराब होने का खतरा बना हुआ है।
यह लापरवाही सीधे तौर पर जनस्वास्थ्य और मरीजों की जिंदगी से खिलवाड़ है।
✍️ जनता का अल्टीमेटम
स्थानीय नागरिकों और जनप्रतिनिधियों ने चेतावनी दी है कि –
यदि सोमवार की शाम तक दवाइयों का भंडारण नियमों के अनुरूप नहीं किया गया,
तो इसकी शिकायत कलेक्टर जनदर्शन, मुख्यमंत्री जनदर्शन, प्रधानमंत्री कार्यालय, CGMSC मुख्यालय व अन्य जिम्मेदार विभागों को की जाएगी।
जब तक नियमों के तहत कार्रवाई नहीं होती और गोदाम अस्पताल से निर्धारित दूरी में नहीं खोला जाता, इस विषय पर लगातार खबरों का प्रकाशन किया जाएगा।
जनता ने साफ कहा है कि किसी भी प्रकार की धमकियों का असर नहीं होगा।
🗣️ जनता की आवाज़
“मरीजों की जिंदगी से खिलवाड़ बर्दाश्त नहीं करेंगे। दवाइयाँ अस्पताल के आसपास ही रहनी चाहिए, ताकि आपातकाल में समय पर पहुंच सके।” – स्थानीय निवासी
“यह साफतौर पर गाइडलाइन का उल्लंघन है। यदि दवाइयाँ खराब हुईं तो इसकी जिम्मेदारी कौन लेगा?” – स्वास्थ्य कार्यकर्ता
“सरकार को तुरंत दखल देना चाहिए, वरना हम उच्चस्तरीय शिकायत करेंगे।” – जनप्रतिनिधि
🌐 बड़ा सवाल – छोटे जिले में यह हाल तो बड़े जिलों का क्या होगा?
कोरिया जिला महज डेढ़ ब्लॉक वाला छोटा जिला है। यदि यहां जिला अस्पताल की दवाइयों का भंडारण भी नियमों के विपरीत, बिना सुरक्षा और बिना गार्ड के 6–7 किलोमीटर दूर कराया जा रहा है, तो सवाल उठना लाज़मी है कि राजधानी रायपुर जैसे बड़े जिलों में या अन्य बड़े अस्पतालों में दवाइयों के भंडारण की स्थिति कैसी होगी?
👉 क्या स्वास्थ्य व्यवस्था पूरे प्रदेश में इसी तरह नियमों को ताक पर रखकर चल रही है? यदि छोटे जिले में इतनी बड़ी अनियमितता है, तो बड़े जिलों में हालात की कल्पना करना ही डरावना है।
अब प्रदेश की जनता को यह जानने का हक है कि –
क्या स्वास्थ्य विभाग और CGMSC नियमों को लागू करने में गंभीर हैं?
या फिर यह पूरा सिस्टम सिर्फ "पहुंच और दबाव" के दम पर चल रहा है?
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