कोरिया। प्रदेश के सभी विभागों के कर्मचारी एवं अधिकारियों ने 11 सूत्रीय मांगों को लेकर गुरुवार 22 अगस्त को एकजुट होकर सरकार के खिलाफ जोरदार प्रदर्शन किया। प्रांतीय उपाध्यक्ष राजेंद्र सिंह दद्दा, संरक्षक शकर सुमन मिश्रा और जिला संयोजक आर.एस. चांदे के नेतृत्व में स्थानीय प्रेमाबाग प्रांगण में एक दिवसीय धरना आयोजित हुआ। इसके बाद शाम को कर्मचारियों ने हाथों में मशाल लेकर विशाल रैली निकाली और सरकार को गहरी नींद से जगाने का प्रयास किया।
धरना-प्रदर्शन में 70 से अधिक विभागों के अधिकारी और कर्मचारी शामिल रहे। इसमें स्वास्थ्य कर्मचारी संघ, एनएचएम संघ, शिक्षा विभाग, ग्राम पंचायत सचिव संघ, लिपिक संघ, राजस्व निरीक्षक संघ, कोषालय, पीएचई, पीडब्ल्यूडी, कृषि विभाग, सहकारिता, मत्स्य, रेशम, महिला एवं बाल विकास, समाज कल्याण, पशु चिकित्सा, नगर निवेश, जल संसाधन, अभियंता संघ, राजपत्रित अधिकारी संघ और तकनीकी कर्मचारी संघ समेत विभिन्न संगठन शामिल हुए। कर्मचारियों की एकजुटता के कारण लगभग सभी विभागों में कामकाज पूरी तरह ठप्प रहा और तालाबंदी का माहौल रहा।
फेडरेशन ने अपनी 11 सूत्रीय मांगों को रखते हुए सरकार पर वादाखिलाफी का आरोप लगाया। मुख्य मांगों में 2019 से लंबित डीए एरियर्स का तत्काल भुगतान, अवकाश नगदीकरण सीमा 240 दिन से बढ़ाकर 300 दिन करना, सेवा निवृत्ति आयु 60 से बढ़ाकर 65 वर्ष करना, प्रथम नियुक्ति तिथि से सेवा की गणना, चार स्तरीय वेतनमान लागू करना और पंचायत सचिव सहित संविदा कर्मचारियों का शासकीयकरण शामिल है।
फेडरेशन ने कहा कि केंद्र सरकार की ‘मोदी गारंटी’ में तत्काल डीए और बकाया एरियर्स देने का वादा किया गया था, किंतु अब तक इसका पालन नहीं हुआ। सरकार हर बार दो वर्ष की देरी से डीए देती है, और एरियर्स का भुगतान नहीं किया जाता। इसी तरह हाल ही में घोषित 2 प्रतिशत डीए को लागू करने की तिथि भी स्पष्ट नहीं की गई है, जिससे कर्मचारियों में भारी असंतोष है।
कर्मचारियों ने यह भी कहा कि प्रथम नियुक्ति तिथि से सेवा की गणना नहीं होने के कारण अधिकांश को रिटायरमेंट के समय केवल 15 से 25 प्रतिशत पेंशन ही मिल पा रही है। 50 प्रतिशत पेंशन आज भी उनके लिए सपना बनी हुई है। इसके अलावा अन्य राज्यों की तरह छत्तीसगढ़ में भी 65 वर्ष सेवा आयु करने की मांग की गई, ताकि जनता को अनुभवी कर्मचारियों का अधिक समय तक लाभ मिल सके।
फेडरेशन ने स्पष्ट चेतावनी दी कि यदि मांगों पर शीघ्र सकारात्मक निर्णय नहीं लिया गया तो आने वाले समय में आंदोलन और उग्र होगा। मशाल रैली में उपस्थित कर्मचारियों ने नारे लगाते हुए सरकार को जगाने का प्रयास किया और कहा कि अब कर्मचारी अपने हक के लिए आर-पार की लड़ाई लड़ेंगे।
👉 कुल मिलाकर, इस प्रदर्शन ने प्रदेश सरकार पर दबाव बढ़ा दिया है और आने वाले दिनों में आंदोलन और बड़ा रूप ले सकता है।
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