दंतेवाड़ा। जिला में स्वास्थ्य विभाग (डीएमएफ) फंड रुक गया है जिसके चलते कई कामकाज में रोड़ा आ गया है। फंड के आभाव में निर्माण सहित स्वास्थ्य सेवाओं कि रफ्तार थम गई है। प्रशासन द्वारा फंड नहीं आने पर। स्वास्थ्य विभाग कि हालत बहुत ही बुरी है। ऐसा ही रहा तो विभाग कि स्तिथि बहुत ही खराब होगी।इससे मरीजों व कर्मचारियों पर बुरा प्रभाव पड़ेगा।जिला कांग्रेस महामंत्री विमल सालम ने कहा विभाग को(डीएमएफ) फंड का समय पर नहीं मिलने पर वेतन वृद्धि और वेतन न मिलने पर लगातार डाक्टर और कर्मचारी छोड़कर जा रहे है।वही वेतन औऱ वेतनवृद्धि नहीं मिलने से परेशान जिला अस्पताल के अब तक 2 सर्जन भी नौकरी छोड़ चले गए है।अचानक कोई अनहोनी हो जाए या कोई दुर्घटना हो तो मरीज का समय पर इलाज और सर्जरी न होने पर जान भी गंवाना पड़ सकता है।इधर सभी प्रकार के इंस्ट्रुमेंट और दवाइयों कि कमी से भी मरीज इधर- उधर भटकने पर मजबूर हैं। (जिला खनिज न्यास) फंड का उपयोग आपातकालीन और आवश्यक चिकित्सा सामग्री प्रदान करने में नहीं हो पा रहा है, जिसके कारण मरीजों को उचित सुविधाएं नहीं मिल पा रही हैं। स्वास्थ्य सेवाओं के साथ खिलवाड़ और जनता के साथ धोखा एक गंभीर मुद्दा है। जिला अस्पताल में बजट की कमी, आपातकालीन सामानों और दवाइयों की कमी जैसी समस्याएं जनता के स्वास्थ्य को खतरे में डाल रही हैं। DMF फंड का पैसा जनता के कल्याण के लिए है, न कि प्रशासन की जेब में रखने के लिए।जिला अस्पताल में दवाइयों और आपातकालीन सामानों की कमी क्यों? सरकार और प्रशासन तुरंत DMF फंड से अस्पताल को बजट उपलब्ध कराए, वरना जनता सड़कों पर उतरेगी।दंतेवाड़ा में DMF फंड का करोड़ों रुपये जमा है, फिर भी जिला अस्पताल में मरीजों को दवाइयां और जरूरी सुविधाएं क्यों नहीं मिल रही हैं? यह जनता के साथ विश्वासघात है। हमारी मांग है कि DMF फंड का उपयोग तुरंत अस्पताल की बेहतरी के लिए हो।”जिला प्रशासन और सरकार DMF फंड को अपने मनमाने तरीके से खर्च कर रही है, जबकि जिला अस्पताल में मरीज बाहर से दवाइयां खरीदने को मजबूर हैं। यह अन्याय बर्दाश्त नहीं होगा। DMF फंड से स्वास्थ्य सेवाओं को प्राथमिकता दी जाए।दंतेवाड़ा का जिला अस्पताल मरीजों के लिए आशा का केंद्र होना चाहिए, न कि लापरवाही का अड्डा! DMF फंड का पैसा स्वास्थ्य सेवाओं के लिए क्यों नहीं? हमारी मांग है कि तुरंत बजट आवंटन हो, वरना जनता जवाब मांगेगी DMF फंड का उद्देश्य खनन प्रभावित क्षेत्रों की जनता का कल्याण के लिए है। फिर क्यों जिला अस्पताल में मरीजों को बुनियादी सुविधाओं के लिए तरसना पड़ रहा है? हम प्रशासन को चेतावनी देते हैं कि DMF फंड का दुरुपयोग बंद हो और अस्पताल को तुरंत संसाधन मुहैया कराए जाएं जब DMF फंड में करोड़ों रुपये उपलब्ध हैं, तो जिला अस्पताल में दवाइयों और आपातकालीन सामानों की कमी क्यों? यह जनता के स्वास्थ्य के साथ खिलवाड़ है। सरकार और प्रशासन जागे, DMF फंड से अस्पताल को तुरंत बजट पहुंचाएं। DMF फंड का गठन खनन प्रभावित क्षेत्रों के लोगों के कल्याण के लिए किया गया है,यदि DMF फंड अब जिला अस्पताल को नहीं दिया जा रहा है, तो यह नियमों का उल्लंघन हो सकता है, क्योंकि DMF नियमों के तहत कम से कम 60% फंड का उपयोग स्वास्थ्य, शिक्षा, और पेयजल जैसे सेवाओं के लिए होता है।जिला अस्पताल दंतेवाड़ा में डीएमएफ फंड का सही उपयोग न होने से आपातकालीन चिकित्सा सुविधाएं प्रभावित हो रही हैं। यह गंभीर लापरवाही न केवल मरीजों के स्वास्थ्य को खतरे में डाल रही है, बल्कि सरकार की स्वास्थ्य योजनाओं पर भी सवाल उठा रही है।खनिज न्यास का पैसा जनकल्याण के लिए है, न कि कागजों में सिमटने के लिए। दंतेवाड़ा जिला अस्पताल में मरीजों को मूलभूत आपातकालीन सामग्री न मिलना प्रशासन की विफलता को दर्शाता है।समय पर दवाइयां और उपकरण न मिलने से मरीजों की जान जोखिम में है। डीएमएफ फंड का तत्काल और पारदर्शी उपयोग सुनिश्चित करना जिला प्रशासन की प्राथमिक जिम्मेदारी है।सरकार भले ही स्वास्थ्य सुधार की बात करे, लेकिन दंतेवाड़ा जिला अस्पताल की स्थिति बताती है कि डीएमएफ फंड का लाभ मरीजों तक नहीं पहुंच रहा। यह जनता के साथ विश्वासघात है।डीएमएफ फंड के गलत प्रबंधन के लिए जिम्मेदार अधिकारियों पर कार्रवाई होनी चाहिए। मरीजों की जान से खिलवाड़ बर्दाश्त नहीं किया जा सकता।
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