Ticker

6/recent/ticker-posts

मैनपाट में पेट पर भारी पड़ा ‘फूटू खाना’, बीजेपी का शिविर बना उल्टी-दस्त सम्मेलन कांग्रेस बोली — “जनता की बद्दुआ का असर है”

मैनपाट बीजेपी शिविर में ‘फूटू खाना’ कांड! सांसद-मंत्री उल्टी-दस्त से बेहाल, कांग्रेस ने ली चुटकी


मैनपाट। छत्तीसगढ़ के मैनपाट में आयोजित भारतीय जनता पार्टी के तीन दिवसीय प्रशिक्षण शिविर में अव्यवस्था की हद तब दिखी, जब शिविर में परोसे गए खराब खाने (जिसे स्थानीय बोली में 'फूटू खाना' कहा गया) से कई सांसदों, मंत्रियों और पार्टी कार्यकर्ताओं की तबीयत बिगड़ गई। किसी को उल्टी हुई तो किसी को पेट दर्द — हाल ये हुआ कि शिविर राजनीतिक चर्चा छोड़ कर अचानक डॉक्टर और ORS के भरोसे रह गया।

कैसे खुला किचन कांड का भांडा

सूत्रों के मुताबिक, दोपहर के भोजन के कुछ घंटों बाद ही कई नेताओं को उल्टी-दस्त और पेट दर्द की शिकायत होने लगी। आनन-फानन में स्थानीय स्वास्थ्य अमले को बुलाया गया। प्राथमिक उपचार देकर कई नेताओं को संभाला गया। गनीमत ये रही कि कोई गंभीर हालत में नहीं पहुँचा, वरना मैनपाट का ये राजनीतिक शिविर किसी इमरजेंसी वार्ड में तब्दील हो जाता।

शिविर में रणनीति पर चर्चा या पेट की मरोड़?

गौरतलब है कि ये शिविर बीजेपी के सांगठनिक भविष्य, आगामी कार्यक्रमों और प्रशासनिक समन्वय की रणनीति तय करने के लिए आयोजित किया गया था। लेकिन किचन कांड ने सारी योजना पर पानी फेर दिया। नेताओं की मीटिंग डायजीन और नमक-नींबू पानी के बीच अटक गई।कैटरर कौन? कौन है जिम्मेदार?

सूत्र बता रहे हैं कि शिविर के भोजन की सही तरीके से स्टोरेज नहीं हुई थी, जिससे ये फूड पॉइज़निंग हुई। अब प्रशासन और पार्टी संगठन ने मामले की जांच के आदेश दे दिए हैं। खाना किसने बनाया, किसकी निगरानी थी, इसकी पड़ताल हो रही है। मगर राजनीतिक गलियारों में सवाल तैरने लगे हैं — ‘किसने नेताओं को फूटू खाना परोसा?’

कांग्रेस का तंज — ‘जनता की बद्दुआ लगी है’

इस पूरे मामले पर कांग्रेस ने भी चुटकी लेने में देर नहीं लगाई। कांग्रेस प्रदेश अध्यक्ष ने बयान में कहा,

"प्रदेश की जनता त्रस्त थी और भाजपा के मंत्री-सांसद मैनपाट में मजे लूट रहे थे। जनता की बद्दुआ लगी है, तभी ये नौबत आ गई। हालांकि हम भी चाहते हैं कि जांच हो, क्योंकि मामला माननीयों की सेहत का है।"

क्या बोले जानकार?

राजनीतिक जानकार इसे ‘संगठनात्मक लापरवाही और मैनेजमेंट फेलियर’ मान रहे हैं। ऐसे आयोजनों में खाना-पीना सबसे ज़रूरी व्यवस्था मानी जाती है, लेकिन बीजेपी जैसे बड़ी पार्टी के शिविर में ऐसा कांड होना कई सवाल खड़े कर गया है।

अब अगली रणनीति पेट दर्द के बाद!

देखना ये होगा कि अब पार्टी संगठन इस ‘फूटू खाना’ फजीहत से उबरने के लिए कौन से कदम उठाता है और क्या दोषियों पर कोई सख्त कार्रवाई होगी या बात फिर राजनीतिक हाजमोला पर टाल दी जाएगी।

एक टिप्पणी भेजें

0 टिप्पणियाँ