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चेरवापारा नर्सरी का हाल बेहाल कोरिया व एमसीबी जिले को भ्रष्टाचार का गढ बनाकार अधिकारी ने कराया स्थानांतरण - सुत्र



कोरिया। जिला मुख्यालय स्थित चेरवापारा नर्सरी का हाल इनदिनों बेहाल है, उद्यानिकि विभाग के अधिकारी के द्वारा संचालित नर्सरियों की स्थिति बत से बत्तर हो चूकि है, सूत्रों की माने तो अधिकारी की मार के डर से कर्मचारी चाहे जवान हो या बुढे थरथर कांपते थे, इसलिए जब उद्यानिकि विभाग के जिला अधिकारी की शिकायत सुशासन तिहार व मुख्यमंत्री शिकायत पोर्टल मे की गई तो जांच के आदेश आऐ लेकिन जांच नही हो सका कई महिनों तक अंत मे जांच प्रक्रिया प्रारम्भ की गई जब सुचना के अधिकार अधिनियम के तहत आवेदन ने अपने आवेदनों की स्थिति जाननी चाही, जिसके बाद जिला पंचायत अधिकारी को जांच अधिकारी बनाया गया। जांच हेतु पत्र उद्यानिकि विभाग पहूंचा पत्र पहूंचते ही जिला अधिकारी के पसिने छुटने लगे और सभी नर्सरी के कर्मचारियों को बुलाया गया जो पैधे नर्सरी मे है ही उन पौधों को भी नर्सरी के अधिकारियों के द्वारा शासकीय दस्तावेज दर्शादिया गया है की नर्सरी मे पौधे है। उद्यानिकि अधिकारी का खौफ इतना था जिले मे की उनके अधिनस्थ कर्मचारी शासन के नियमों की अनदेखी करते चले गए।

चेरवापारा नर्सरी पडा विरान, नही कार्य कर रहा स्प्रिलिंकर 38 लाख डकारे



उद्यानिकि विभाग के सहायक संचाल कर आवेदक ने लगभग 96 लाख रुपये के भ्रष्टाचार करने की शिकायत मुख्यमंत्री शिकायत पोर्टल मे किया है, अब तक जो अधिकारी विनय त्रिपाठी कोरिया जिले को छोडकर जाना नही चाहते थे क्योकि उनके पिछे भाजपा के पूर्व पदाधिकारी का हांथ था, अधिकारी कारवयालय सहित नर्सरी मे भी अपनी मनमानी चलाते थे, कई कर्मचारी खाना कम लेकिन अधिकारी श्री त्रिपाठी से लात घुसे जरुर खाते थे इसकी पुष्टी तो हम नही कर रहे है लेकिन जो बाते उद्यानिकि विभाग मे होती थी उन बातो को हम कह रहे है। आवेदक के द्वारा विनय त्रिपाठी के उपर लगभग 96 लाख रुपये का भ्रष्टाचार करने की शिकायत की गई है तीन माह बीतने को है लेकिन अबतक जांच पुरी नही हो सकी है जबकि मुख्यमंत्री जनदर्शन मे शिकायत को महज 21 दिनों मे जांच करना अनिवार्य किया गया है लेकिय यह कोरिया जिला है यहां कुछ भी संभव है जब शासकीय भूमि विक्रय की अनुमति मिल सकती है तो फिर कुछ भी संभव लेकिन जनहित के कार्य नही। उद्यानिकि विभाग के उप संचालक विनय त्रिपाठी जिनके पास भाजपा के पूर्व पदाधिकारी का समर्थन रहा हो वह आखिरकार स्वय के व्यय मे अपना स्थानांतरत क्यो कराऐ कराये ताकि जांच मे वह दोषी ना सिद्ध हो जाए। चेरवापारा नर्सरी मे लगभग 38 लाख रुपये की लागत से पौधे तैयार किये गए है लेकिन जब चेरवापारा नर्सरी हमारी टीम कवरेज के लिए पहूंची तो पता चला वहां 38 हजार रुपये के भी कार्य नही हुए होंगे। इसी बात से सिद्ध होता है की उद्यानिकि विभाग के उप संचालक के खिलाफ जो शिकायत हुई है वह सही है, एसा हम दावा नही कर रहे बल्कि अनुमान लगा रहे है। अब जांच के आने का आवेदक को इंतजार रहेगा।

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