रायपुर। छत्तीसगढ़ में कथित शराब घोटाले को लेकर प्रवर्तन निदेशालय (ईडी) द्वारा पूर्व मुख्यमंत्री भूपेश बघेल के बेटे चैतन्य बघेल की गिरफ्तारी के बाद राज्य की राजनीति में हलचल मच गई है। कांग्रेस खेमे में अफरा-तफरी का माहौल है, वहीं भारतीय जनता पार्टी इस कार्रवाई को भ्रष्टाचार के खिलाफ बड़ी कार्रवाई बता रही है।
चैतन्य की गिरफ्तारी के बाद पूर्व मुख्यमंत्री भूपेश बघेल ने कड़ा बयान देते हुए कहा,
"ना हम झुकेंगे, ना टूटेंगे। भारतीय जनता पार्टी चाहे जो कर ले, हम डरने वाले नहीं हैं।"
हालांकि, विपक्ष का आरोप है कि भूपेश बघेल के शासनकाल में राज्य के हर विभाग में बड़े स्तर पर भ्रष्टाचार हुआ। चावल घोटाला, शराब घोटाला, डीएमएफ फंड घोटाला, कोयला घोटाला, मेडिकल घोटाला—इन सभी मामलों में ईडी व अन्य एजेंसियों ने कार्रवाई तेज कर दी है।
राजनीतिक बयानबाजी तेज, प्रियंका गांधी का ट्वीट चर्चा में
चैतन्य बघेल की गिरफ्तारी के बाद कांग्रेस के केंद्रीय नेतृत्व ने भी मोर्चा संभाल लिया है। प्रियंका गांधी वाड्रा ने ट्वीट कर आरोप लगाया कि अडानी समूह छत्तीसगढ़ के जंगल काट रहा है और आदिवासियों का शोषण कर रहा है। उन्होंने यह भी कहा कि जब भूपेश बघेल विधानसभा में इस मुद्दे को उठाने वाले थे, उसी से पहले उनके बेटे को गिरफ्तार कर केंद्र सरकार "राजनीतिक बदले" की भावना से कार्रवाई कर रही है।हालांकि, आलोचकों का कहना है कि जब छत्तीसगढ़ में कांग्रेस की सरकार थी, तब अडानी को संरक्षण खुद भूपेश बघेल की सरकार द्वारा ही दिया गया। उस दौरान अडानी समूह के जंगल कटाई व परियोजनाओं का विरोध तत्कालीन उपमुख्यमंत्री टी.एस. सिंहदेव ने किया था, जिससे बघेल और सिंहदेव के बीच तनातनी भी सामने आई थी।
दोनों दलों पर जनता को गुमराह करने के आरोप
राजनीतिक विश्लेषकों का कहना है कि कांग्रेस और बीजेपी दोनों ही कॉर्पोरेट घरानों के प्रति नरम रुख रखते हैं, लेकिन जनता के सामने एक-दूसरे पर आरोप-प्रत्यारोप कर राजनीतिक लाभ लेने की कोशिश करते हैं। सवाल उठता है कि जब कांग्रेस सत्ता में थी तब अडानी पर चुप्पी क्यों थी? और अब विपक्ष में रहते हुए अचानक विरोध क्यों?
"जनता को चाहिए सच्चाई की पहचान"
छत्तीसगढ़ एक आदिवासी बहुल राज्य है, और बार-बार इन वर्गों के शोषण की घटनाएं सामने आती रही हैं। ऐसे में यह जरूरी है कि राजनीतिक दल वोट बैंक से ऊपर उठकर, आदिवासी हितों की रक्षा के लिए गंभीर प्रयास करें, न कि केवल विरोध और समर्थन की राजनीति करें। चैतन्य बघेल की गिरफ्तारी, अडानी का मुद्दा और प्रियंका गांधी के बयान ने एक बार फिर छत्तीसगढ़ की सियासत को गर्मा दिया है। आने वाले समय में यह देखना दिलचस्प होगा कि जांच एजेंसियों की कार्रवाई क्या नया मोड़ लेती है और इस सियासी जंग में जनता किसे सच्चा मानती है।
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