Ticker

6/recent/ticker-posts

शराब घोटाला पहूंचा 3200 करोड़ के पार - सबसे बडी कार्यवाही 22 आबकारी अधिकारी हुए सस्पेंड


रायपुर। छत्तीसगढ़ के बहुचर्चित शराब घोटाले में अब तक की सबसे बड़ी प्रशासनिक कार्रवाई सामने आई है। गुरुवार दोपहर राज्य सरकार ने 22 आबकारी अधिकारियों को निलंबित कर दिया। इन सभी पर शराब सिंडिकेट का हिस्सा बनकर करोड़ों की अवैध कमाई करने का आरोप है। यह घोटाला अब 2100 करोड़ से बढ़कर 3200 करोड़ रुपये तक पहुंच चुका है, जिससे पूरे प्रदेश की राजनीति में भूचाल आ गया है।

29 में से 22 अधिकारी सस्पेंड, 7 पहले ही रिटायर्ड

राज्य शासन द्वारा जारी आदेश के अनुसार, आबकारी विभाग के कुल 29 अधिकारियों पर संलिप्तता के आरोप हैं, जिनमें से 22 को निलंबित कर दिया गया है। शेष 7 अधिकारी या तो सेवा से सेवानिवृत्त हो चुके हैं या फिर एक अधिकारी की मृत्यु हो चुकी है।
ईओडब्ल्यू (आर्थिक अपराध अन्वेषण ब्यूरो) की चार्जशीट में इन अधिकारियों की भूमिका स्पष्ट रूप से सामने आई है। आरोप है कि इन अधिकारियों ने शराब सिंडिकेट को खुलकर समर्थन दिया और इसके एवज में लगभग 88 करोड़ रुपये की अवैध कमाई की।

कोर्ट में पेश नहीं हुए आरोपी, मिली मोहलत

ईओडब्ल्यू की ओर से जारी समन के बावजूद सभी 29 आरोपी अधिकारी अब तक न्यायालय में पेश नहीं हुए हैं। इसके चलते कोर्ट ने उन्हें 20 अगस्त तक की मोहलत दी है। माना जा रहा है कि गिरफ्तारी के डर से ये अधिकारी अदालत के समक्ष पेश होने से कतरा रहे हैं।

सियासी आरोप-प्रत्यारोप तेज

निलंबन आदेश जारी होते ही राजनीतिक हलकों में प्रतिक्रियाओं का दौर तेज हो गया है। मुख्यमंत्री विष्णु देव साय ने इस मामले में स्पष्ट कहा कि, "प्रदेश में चल रही आबकारी घोटाले की जांच ईडी कर रही है, और जो भी दोषी पाया जाएगा, उस पर कड़ी कार्रवाई की जाएगी।"

उपमुख्यमंत्री अरुण साव ने भी अपनी बात रखते हुए कहा, "कानून के तहत जिसकी संलिप्तता सिद्ध होगी, उसके खिलाफ कठोर कार्रवाई की जाएगी।"

वहीं, कांग्रेस ने इस कार्रवाई को राजनीतिक बदले की भावना से प्रेरित बताया है। पूर्व पीसीसी अध्यक्ष धनेंद्र साहू ने प्रतिक्रिया देते हुए कहा, "यह सारी कार्रवाई कांग्रेस नेताओं को बदनाम करने के लिए की जा रही है। राज्य व केंद्र की एजेंसियों का उपयोग बीजेपी राजनीतिक साजिश के तहत कर रही है।"

क्या है पूरा मामला?

कांग्रेस सरकार के कार्यकाल में छत्तीसगढ़ में अवैध शराब बिक्री और लाइसेंसिंग के जरिए हजारों करोड़ का घोटाला सामने आया था। आरोप है कि एक संगठित सिंडिकेट के माध्यम से सरकारी तंत्र का दुरुपयोग कर शराब की बिक्री से अतिरिक्त अवैध वसूली की गई। ईडी और ईओडब्ल्यू की जांच में बड़े अफसरों और नेताओं की संलिप्तता सामने आई थी। अब, पहली बार इतने बड़े स्तर पर अधिकारियों को सस्पेंड किया गया है, जिससे शासन प्रशासन और राजनीति दोनों में हलचल मच गई है। अगले कुछ हफ्ते इस पूरे मामले में बेहद अहम माने जा रहे हैं।

एक टिप्पणी भेजें

0 टिप्पणियाँ