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शिक्षा विभाग में भ्रष्टाचार का खेल: युक्तियुक्तकरण की आड़ में गुप्त पदस्थापनाएं, शिक्षकों में आक्रोश



सूरजपुर। जिले में शिक्षा विभाग की युक्तियुक्तकरण और काउंसलिंग प्रक्रिया को लेकर गंभीर अनियमितताओं के आरोप कड़ी दर कड़ी सामने आ रहे हैं। जिला शिक्षा अधिकारी श्रीमती भारती वर्मा और शासकीय उच्चतर माध्यमिक विद्यालय, रामनगर के प्राचार्य पर शिक्षकों की गुप्त पदस्थापना और योजनाबद्ध साजिश के आरोप लगे हैं। वहीं दूसरी तरफ इन प्रकरणों ने न केवल शिक्षकों का मनोबल तोड़ा है, बल्कि शिक्षा व्यवस्था की पारदर्शिता और गुणवत्ता पर भी गंभीर सवाल खड़े किए हैं। वहीं दूसरी तरफ शिक्षकों ने इसे संशोधन बाजार करार देते हुए निष्पक्ष जांच की मांग किया है।

युक्तियुक्तकरण बना भ्रष्टाचार का अड्डा..?

शिक्षा व्यवस्था को सुचारु बनाने के लिए शुरू किए गए युक्तियुक्तकरण अभियान को सूरजपुर में मजाक बना दिया गया है। जिला शिक्षा अधिकारी श्रीमती भारती वर्मा, जो पहले भी विवादों में रह चुकी हैं, एक बार फिर सुर्खियों में हैं। शिक्षकों का आरोप है कि काउंसलिंग प्रक्रिया के तहत की गई पदस्थापनाओं में मनमानी और गुप्त संशोधन का खेल चल रहा है। हाल ही में दो सहायक शिक्षिकाओं—श्रीमती पूनम सिंह और श्रीमती विद्यावती सिंह—की पदस्थापना क्रमशः प्राथमिक शाला चिटकाहीपारा और पंडोपारा, रामानुजनगर में की गई थी। दोनों ने कार्यभार भी ग्रहण कर लिया था, लेकिन आपसी सहमति की आड़ में उनकी पदस्थापना चुपके से बदल दी गई, बिना किसी आधिकारिक घोषणा के। इसपर शिक्षकों ने सवाल उठाया है कि क्या यह 'आपसी सहमति' केवल चुनिंदा लोगों के लिए है..? जिले की सैकड़ों महिला शिक्षिकाएं, जो अपने घर से 50 से 150 किमी दूर पदस्थ हैं, संशोधन की बाट जोह रही हैं, लेकिन उन्हें यह सुविधा क्यों नहीं मिल रही...? शिक्षकों ने कटाक्ष करते हुए कहा, अगर यही खेल चलना है, तो जिला शिक्षा अधिकारी कार्यालय को रेट लिस्ट बाहर चस्पा कर देनी चाहिए, ताकि सभी बिना संकोच इसका लाभ उठा सकें। बहरहाल शिक्षको द्वारा गंभीर आरोपों व तथाकथित इस गुप्त प्रक्रिया ने पारदर्शिता की धज्जियां उड़ा दी हैं, जिससे शिक्षकों में भारी आक्रोश है।

रामनगर स्कूल में साजिश का खेल

मामला यहीं नहीं रुकता। शासकीय उच्चतर माध्यमिक विद्यालय, रामनगर के अंग्रेजी व्याख्याता पिंकू शर्मा ने जिला कलेक्टर और जिला शिक्षा अधिकारी को पत्र लिखकर और भी गंभीर आरोप लगाए हैं। शर्मा ने दावा किया कि 1 जून 2025 को जिला स्तर पर आयोजित युक्तियुक्तकरण सूची में उनका और श्रीमती रश्मि बोटकेवार का नाम शामिल था। काउंसलिंग में शर्मा उपस्थित रहे, जबकि बोटकेवार अनुपस्थित थीं। अंग्रेजी के लिए केवल तीन रिक्त पद (कल्याणपुर, प्रतापपुर, और आमगांव) सार्वजनिक सूची में दर्शाए गए, जो वरिष्ठ अभ्यर्थियों को मिल गए। शेष अभ्यर्थियों के नाम संभागीय काउंसलिंग (6 जून) के लिए भेजे गए, लेकिन बोटकेवार वहां भी अनुपस्थित रहीं। नियमानुसार, बोटकेवार का नाम राज्य स्तरीय काउंसलिंग (12 जून) में होना चाहिए था, लेकिन आश्चर्यजनक रूप से उनका नाम सूची से गायब था। शर्मा को 11 जून को पता चला कि बोटकेवार को 4 जून से शासकीय उच्चतर माध्यमिक विद्यालय, बड़सरा में गुप्त रूप से पदस्थ कर दिया गया। यह पदस्थापना बिना सूची में नाम, बिना स्कूल को रिक्त दिखाए, और उनकी अनुपस्थिति में की गई, जो नियमविरुद्ध है। इसी तरह, दीपक कुमार भारद्वाज, जो जिला और संभागीय काउंसलिंग में अनुपस्थित रहे, उनके नाम को भी राज्य स्तरीय सूची से हटाया गया, जिससे उनकी गुप्त पदस्थापना की आशंका जताई जा रही है। 

अतिशेष घोषित करने की साजिश

शर्मा ने रामनगर स्कूल में अपने साथ हुई साजिश का भी खुलासा किया। उन्हें अतिशेष घोषित कर स्कूल से हटाया गया, यह दावा करते हुए कि अंग्रेजी का पद विद्या मितान योजना से भरा हुआ है। लेकिन, 11 जून को जिला शिक्षा अधिकारी द्वारा जारी रिक्त पदों की सूची में उसी स्कूल में अंग्रेजी का पद रिक्त दिखाया गया। शर्मा ने इसे योजनाबद्ध साजिश करार देते हुए कहा कि किसी 'विशेष व्यक्ति' को लाभ पहुंचाने के लिए उन्हें जानबूझकर हटाया गया। 

प्राचार्य की भूमिका पर सवाल

शर्मा ने स्कूल के प्राचार्य पर भी गंभीर आरोप लगाए। उन्होंने कहा कि प्राचार्य ने पहले उनके पद को विद्या मितान द्वारा भरा हुआ बताया, लेकिन बाद में उसी पद को रिक्त दिखाकर विभाग को गुमराह किया। यह विरोधाभास प्राचार्य की मंशा पर सवाल खड़े करता है। इसके साथ ही श्री शर्मा ने बताया कि यह मामला वर्तमान में बिलासपुर हाईकोर्ट में विचाराधीन है। उन्होंने कलेक्टर से आग्रह किया है कि जब तक कोर्ट का अंतिम निर्णय नहीं आता, रामनगर स्कूल में अंग्रेजी के पद पर किसी अन्य की नियुक्ति न की जाए। 

शिक्षकों में रोष, जांच की मांग

जिले के शिक्षकों ने इस प्रकरण की कड़ी निंदा की है। उनका कहना है कि गुप्त पदस्थापनाएं और मनमानी शिक्षा व्यवस्था को कमजोर कर रही हैं। शिक्षकों ने प्रदेश स्तर पर निष्पक्ष जांच की मांग की है, ताकि दोषियों को दंडित किया जाए और पारदर्शिता बहाल हो। सवाल उठ रहा है कि क्या सूरजपुर का शिक्षा विभाग संशोधन बाजार बन गया है...? क्या यह केवल चंद लोगों के लिए विशेष दरवाजा खोलता है...? कुलमिलाकर लगातार सामने इन मामलों ने सूरजपुर के शिक्षा विभाग की कार्यप्रणाली पर गहरे सवाल खड़े किए हैं। अब सभी की निगाहें कलेक्टर और उच्च अधिकारियों की कार्रवाई पर टिकी हैं।

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