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विदेश यात्रा विवाद में कार्रवाई ठप: दयाशंकर साहू पर जांच आदेश दो बार जारी, फिर भी फाइल नहीं चली… प्रशासन पर उठे गंभीर सवाल

 


कोरिया। सहायक आयुक्त आदिवासी विकास विभाग के लिपिक दयाशंकर साहू के विरुद्ध लगे आरोपों और शिकायतों के बावजूद जांच न होने से पूरे प्रशासनिक ढांचे पर गंभीर सवाल उठ गए हैं। विभागीय कार्यप्रणाली पर सवाल तब और गहरा गया जब यह तथ्य सामने आया कि तमाम शिकायतों के बावजूद साहू के मामले में ही जांच प्रक्रिया आगे नहीं बढ़ पा रही है, जबकि अन्य शिकायतों में कार्रवाई तेज़ी से की गई। सूत्रों के अनुसार, 8 दिसंबर 2024 को स्थानीय समाचार पत्र में यह खबर प्रमुखता से प्रकाशित हुई थी कि दयाशंकर साहू ने बिना किसी वैध आदेश या अनुमति के विदेश यात्रा की। खबर प्रकाशित होने के बाद कलेक्टर कोरिया द्वारा तत्काल जांच के निर्देश दिए गए थे, लेकिन वह आदेश मौखिक होने के कारण विभागीय स्तर पर कार्रवाई आगे नहीं बढ़ सकी। न तो किसी अधिकारी को इसकी औपचारिक जिम्मेदारी सौंपी गई और न ही फाइल पर कोई प्रगति हुई। इसके बाद सितंबर और अक्टूबर 2025 में इस मामले पर दोबारा औपचारिक आदेश जारी किए गए कि समाचार में प्रकाशित तथ्यों तथा शिकायतों की जांच की जाए। इसके बावजूद जांच शुरू नहीं हो सकी। सूत्रों का दावा है कि आदेश जारी होने के बावजूद किसी अधिकारी ने फाइल को हाथ नहीं लगाया, न ही आरोपित कर्मचारी को नोटिस जारी किया गया। यह स्थिति जिले के प्रशासनिक सिस्टम पर प्रश्नचिह्न लगाती है। इस पूरे मामले में सबसे बड़ा सवाल यह उठ रहा है कि आखिर दयाशंकर साहू को विभागीय कार्रवाई से बचाने की कोशिश क्यों की जा रही है? क्या उन्हें किसी वरिष्ठ अधिकारी का संरक्षण प्राप्त है? यदि नहीं, तो फिर दो-दो जांच आदेशों के बाद भी कार्रवाई क्यों नहीं हुई? विभागीय सूत्रों का कहना है कि दयाशंकर साहू के मामले में अधिकारियों की रुचि जानबूझकर कम रखी जा रही है, जिसके कारण शिकायतकर्ता बार-बार भटक रहे हैं और फाइल आगे नहीं बढ़ रही है। जब एक सरकारी कर्मचारी बिना अनुमति विदेश यात्रा करता है, शिकायतें होती हैं, आदेश जारी होते हैं, फिर भी जांच शुरू न होना प्रशासनिक इच्छाशक्ति की कमी या फिर किसी अदृश्य दबाव का संकेत है। जनता यह सवाल पूछ रही है कि क्या विभागीय नियम केवल आम नागरिकों और कर्मचारियों के लिए हैं, या फिर कुछ चुनिंदा लोगों पर ही लागू होते हैं? जिले में पारदर्शिता और जवाबदेही बनाए रखने के लिए आवश्यक है कि इस मामले की निष्पक्ष जांच कर तथ्यों को सार्वजनिक किया जाए।

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