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पुलिस लाइन के पराक्रम पेट्रोल पंप में मनमानी, नियमों की उड़ाई जा रही धज्जियाँ - सुत्र

 


बैकुण्ठपुर। पुलिस लाइन परिसर में स्थित “पराक्रम” नामक पेट्रोल पंप का उद्घाटन सरगुजा रेंज के पुलिस महानिरीक्षक के हाथों बड़े उत्साह के साथ किया गया था। उद्देश्य था कि पुलिस विभाग का यह पंप अनुशासन, नियम और व्यवस्था का उदाहरण बने। परंतु कुछ ही महीनों में स्थिति बिल्कुल विपरीत दिखाई देने लगी है जानकारी के अनुसार, इस पंप में एक अक्टूबर से बिना हेलमेट पेट्रोल न देने का नियम सख्ती से लागू किया गया है, लेकिन हकीकत में इसका पालन नहीं हो रहा है। प्रत्यक्षदर्शियों का कहना है कि यहां बिना हेलमेट वाले वाहनों में भी बेखौफ पेट्रोल भरा जा रहा है। इतना ही नहीं, पेट्रोल पंप संचालक और कर्मचारी खाली डब्बों में भी पेट्रोल दे रहे हैं, जो सुरक्षा मानकों का सीधा उल्लंघन है। और भी चौंकाने वाली बात यह है कि पेट्रोल पंप में कार्यरत कुछ कर्मचारी अक्सर शराब के नशे में धुत रहते हैं। कई बार ग्राहकों के साथ बदतमीजी और झगड़े की स्थिति तक बन चुकी है। जब पुलिस विभाग के अधीन संचालित पंप में ही इस तरह की लापरवाही और अव्यवस्था दिख रही है, तो जिले के अन्य निजी पेट्रोल पंपों की स्थिति का अनुमान आसानी से लगाया जा सकता है। इसके साथ ही, पंप पर उपभोक्ताओं की मूलभूत सुविधाओं की भी भारी कमी देखी जा रही है। नियमों के अनुसार, प्रत्येक पेट्रोल पंप में वाहनों के टायर में हवा भरने और पेयजल की निशुल्क व्यवस्था अनिवार्य है। साथ ही प्राथमिक उपचार (फर्स्ट एड किट/पट्टी मलहम) भी हमेशा उपलब्ध रहना चाहिए। यह प्रावधान भारतीय पेट्रोलियम नियम, 2002 (Petroleum Rules, 2002) की धारा 131 के अंतर्गत आता है। इन नियमों के बावजूद, पुलिस लाइन स्थित पराक्रम पेट्रोल पंप में न तो हवा भरने की मशीन चालू है, न ही पेयजल की कोई सुविधा मौजूद है। वाहन चालकों को गर्मी और धूल के बीच बिना पानी के खड़ा रहना पड़ता है। उपभोक्ताओं ने कई बार इसकी शिकायत की, लेकिन सुधार की कोई कार्रवाई अब तक नहीं हुई। स्थानीय सूत्रों के मुताबिक, कई बार शराब के नशे में धुत कर्मचारी ड्यूटी पर आते हैं और लोगों से अभद्र व्यवहार करते हैं। यह न केवल नियमों की अवहेलना है बल्कि सुरक्षा की दृष्टि से भी गंभीर खतरा है। जनता और जागरूक नागरिकों ने मांग की है कि पुलिस विभाग स्वयं अपने अधीनस्थ इस पेट्रोल पंप की जांच कराए और नियमों का सख्ती से पालन सुनिश्चित करे, ताकि “पराक्रम” नाम अपने अर्थ के अनुरूप ईमानदारी और अनुशासन का प्रतीक बन सके। सुत्रों से मिली जानकारी के अनुसार समाचार प्रकाशन इससे हमारा कोई वास्ता नहीं है।

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