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बरसात का कहर: पुलिया के अभाव में कट जाता है गांव का संपर्क, ग्रामीणों का दंश कब होगा दूर..?

 


सूरजपुर/भैयाथान। ग्राम पंचायत बड़सरा के अम्माखोखा मोहल्ले के ग्रामीण हर बरसात में प्रकृति की मार और प्रशासनिक उदासीनता का दंश झेलने को मजबूर हैं। झांपीमाढ़ा नाला पर पुलिया के अभाव में बरसाती पानी का तेज बहाव मुख्य मार्ग को तहस-नहस कर देता है, जिससे सड़क कीचड़ और दलदल में तब्दील हो जाती है। दो से तीन फीट गहरे गड्ढों ने अम्माखोखा से अटल चौक तक का संपर्क पूरी तरह तोड़ दिया है। यह मार्ग अम्माखोखा और गोंडपारा को जोड़ने वाला एकमात्र रास्ता है, जिसकी बदहाल स्थिति ने ग्रामीणों का जीना मुहाल कर दिया है।चार पहिया वाहन, एंबुलेंस और ट्रैक्टर तक मोहल्ले में पहुंचना असंभव हो गया है। आपात स्थिति में मरीजों को चारपाई पर उठाकर मुख्य मार्ग तक ले जाना पड़ता है। स्कूली बच्चे कीचड़ और फिसलन भरे रास्ते पर जान जोखिम में डालकर स्कूल जाते हैं। 

निरस्त योजना ने बढ़ाई निराशा 

पिछले वर्ष मनरेगा के तहत इस मार्ग पर मिट्टी डालकर समतलीकरण की स्वीकृति मिली थी, लेकिन कार्य शुरू होने से पहले ही इसे निरस्त कर दिया गया। इससे ग्रामीणों में गहरा आक्रोश है। धर्मजीत सिंह, समयलाल सिंह, सुखलाल गोंड और धर्मसिंह जैसे ग्रामीणों ने शासन-प्रशासन से गुहार लगाई है कि इस मार्ग को प्राथमिकता देकर स्थायी पुलिया का निर्माण कराया जाए। ग्रामीणों का कहना है, "यह सड़क और पुलिया सिर्फ सुविधा नहीं, बल्कि हमारा हक है।"

सरपंच ने भी माना, समस्या गंभीर 

ग्राम पंचायत बड़सरा के सरपंच जगनारायण सिंह ने समस्या की गंभीरता को स्वीकार करते हुए कहा, "झांपीमाढ़ा नाला पर पुलिया का निर्माण बेहद जरूरी है। बरसात में मोहल्ला पूरी तरह कट जाता है। सड़क और पुलिया अब ग्रामीणों का अधिकार है, जिसे जल्द पूरा करना होगा।"

कब मिलेगी राहत....? 

अम्माखोखा के ग्रामीणों की यह पीड़ा वर्षों पुरानी है। हर बरसात में उनकी मुश्किलें दोगुनी हो जाती हैं, लेकिन प्रशासन की ओर से ठोस कदम नहीं उठाए गए हैं। सवाल यह है कि आखिर कब तक ग्रामीण इस उपेक्षा का शिकार बने रहेंगे...? कब मिलेगी उन्हें इस दंश से निजात....? स्थायी समाधान के लिए शासन-प्रशासन को तत्काल कदम उठाने की जरूरत है, ताकि अम्माखोखा के लोग बरसात में भी बिना डर और परेशानी के अपने गांव से जुड़े रह सकें।

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