अम्बिकापुर। जिले में करोड़ों रुपये के कथित ज़मीन घोटाले ने सियासी गलियारों में हड़कंप मचा दिया है। वर्षों से दबे इस मामले में जिला सत्र न्यायालय के हस्तक्षेप के बाद अम्बिकापुर कोतवाली पुलिस ने आखिरकार कार्रवाई की है। भाजपा जिलाध्यक्ष भारत सिंह सिसोदिया, कांग्रेस जिला महामंत्री राजीव अग्रवाल समेत सात लोगों के खिलाफ धोखाधड़ी (धारा 420) और आपराधिक साजिश (धारा 34) के तहत FIR दर्ज की गई है। इस मामले ने राजनीतिक रसूख और भू-माफिया के गठजोड़ पर गंभीर सवाल खड़े कर दिए हैं। बहरहाल पुलिस ने जांच शुरू कर दी है, और कोर्ट के निर्देशानुसार दो सप्ताह में प्रगति रिपोर्ट सौंपनी होगी। इस मामले में और खुलासे होने की संभावना है, जो स्थानीय भू-माफिया और सियासी गठजोड़ को और बेनकाब कर सकती है।
यह है पूरा मामला
70 वर्षीय चंद्रमणि देवी कुशवाहा और 75 वर्षीय कलावती कुशवाहा, दोनों अनपढ़ ग्रामीण महिलाओं ने अपनी 2.87 हेक्टेयर पुश्तैनी ज़मीन के नामांतरण के लिए अधिवक्ता दिनेश कुमार सिंह से मदद मांगी थी। शिकायत के अनुसार, अधिवक्ता ने उनके भरोसे का फायदा उठाकर भू-माफियाओं और प्रभावशाली नेताओं के साथ मिलकर फर्जी अनुबंध और विक्रयपत्र तैयार किए। 2015 से 2017 के बीच ₹1.75 करोड़ का अनुबंध हुआ, फिर ₹1.13 करोड़ का नया सौदा, लेकिन केवल ₹40.16 लाख का भुगतान दिखाया गया, वह भी नकद या अस्पष्ट चेक के जरिए। शिकायतकर्ताओं का दावा है कि ज़मीन आज भी उनके भाइयों के कब्जे में है, और लेन-देन में पारदर्शिता का अभाव है।
आरोपियों में कौन-कौन
FIR में अधिवक्ता दिनेश कुमार सिंह, रविकांत सिंह, भाजपा जिलाध्यक्ष भारत सिंह सिसोदिया, नीरज प्रकाश पांडेय, राजेश सिंह, निलेश सिंह और कांग्रेस जिला महामंत्री राजीव अग्रवाल शामिल हैं। इन पर आरोप है कि ये लोग राजनीतिक रसूख का इस्तेमाल कर ज़मीन की खरीद-बिक्री और प्लॉटिंग के जरिए मोटा मुनाफा कमा रहे हैं। शिकायतकर्ताओं ने पुलिस पर भी पहले शिकायतों को नजरअंदाज करने का आरोप लगाया।
कोर्ट का सख्त रुख
सीजेएम कोर्ट ने मामले की गंभीरता को देखते हुए सीआरपीसी की धारा 156(3) के तहत कोतवाली थाना प्रभारी को निर्देश दिया कि सभी तथ्यों की जांच कर उपयुक्त धाराओं में FIR दर्ज की जाए और दो सप्ताह में रिपोर्ट सौंपी जाए। कोर्ट के इस आदेश ने यह संदेश दिया है कि कानून के सामने कोई भी रसूखदार बख्शा नहीं जाएगा।
सियासी हलचल तेज
इस मामले ने सरगुजा की सियासत में भूचाल ला दिया है। दोनों प्रमुख दलों के नेताओं का नाम आने से राजनीतिक गलियारों में चर्चाएं तेज हैं। आम लोगों में यह मामला उम्मीद की किरण बनकर उभरा है, क्योंकि यह दर्शाता है कि न्यायपालिका कमजोर वर्ग की आवाज को सुन रही है
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