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राई गांव की अनूठी मिसाल: आवारा मवेशियों से फसल बचाने को ग्रामीणों ने बनाया अस्थाई गोशाला, चंदे से चारा-पानी का इंतजाम


सूरजपुर/दतिमा। भैयाथान जनपद पंचायत के ग्राम पंचायत राई के ग्रामीणों ने आवारा मवेशियों से फसलों को बचाने के लिए एक प्रेरणादायक पहल की है। गांव में खाली पड़ी भूमि पर सामुदायिक सहयोग से अस्थाई गोशाला बनाई गई है, जहां रात के समय मवेशियों को रखा जाता है। बारिश से बचाव के लिए तिरपाल की व्यवस्था और चंदे से चारा-पानी का इंतजाम कर ग्रामीणों ने न केवल अपनी फसलों को सुरक्षित किया, बल्कि गोवंश की देखभाल में भी मिसाल पेश की है।लंबे समय से राई गांव के किसान आवारा मवेशियों की समस्या से जूझ रहे थे। ये मवेशी दिन-रात खेतों में घुसकर फसलों को बर्बाद कर रहे थे, जिससे किसानों को रात-दिन खेतों की रखवाली करनी पड़ रही थी। बढ़ती परेशानी से तंग आकर ग्रामीणों ने प्रशासन का इंतजार करने के बजाय खुद ही हल तलाशने का फैसला किया। आपसी चर्चा के बाद गांव की खाली भूमि पर खंभे गाड़कर और रस्सियों से बाड़ा बनाकर अस्थाई गोशाला तैयार की गई। हर रात मवेशियों को इस बाड़े में लाया जाता है और सुबह इन्हें राई जंगल के चारागाह में छोड़ दिया जाता है। बारिश के मौसम में मवेशियों को भीगने से बचाने के लिए तिरपाल का इंतजाम किया गया है। इतना ही नहीं, ग्रामीणों ने चंदा इकट्ठा कर मवेशियों के लिए चारा और पानी की व्यवस्था भी सुनिश्चित की है। इस पहल से न केवल फसलों को होने वाला नुकसान रुका है, बल्कि रात के समय मवेशियों के सड़कों पर भटकने से होने वाली दुर्घटनाओं और यातायात बाधा पर भी अंकुश लगा है। बहरहाल इस सामुदायिक प्रयास की आसपास के गांवों में खूब सराहना हो रही है। लोग इसे एक ऐसी मिसाल मान रहे हैं, जो दूसरों को प्रेरित कर सकती है। कुलमिलाकर यह पहल न केवल किसानों को राहत दे रही है, बल्कि सामुदायिक सहयोग की ताकत को भी दर्शा रही है। ग्रामीणों का कहना है कि प्रशासन से मदद की उम्मीद लगाने के बजाय यदि लोग खुद आगे आएं और इस तरह के रचनात्मक कदम उठाएं, तो हर समस्या का समाधान संभव है। राई गांव का यह प्रयास अन्य पंचायतों के लिए प्रेरणा बन रहा है, ताकि वे भी अपने स्तर पर ऐसी व्यवस्था लागू करें और फसलों के साथ-साथ गोवंश की सुरक्षा सुनिश्चित करें।

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