कोरिया। तहसील कार्यालय बैकुण्ठपुर में नियमों को ताक पर रखकर शासकीय न्यायालयीन फाइलें बाहर भेजे जाने का गंभीर मामला सामने आया है। बताया जा रहा है कि एक विभागीय अधिकारी द्वारा अपने नजदीकी रिश्तेदार (भतीजे) को शासकीय दस्तावेज सौंपकर कार्यालयीन कार्य करवाया जा रहा है। यह न सिर्फ प्रशासनिक गोपनीयता का उल्लंघन है, बल्कि छत्तीसगढ़ शासन के सेवा आचरण नियमों और गोपनीयता संबंधी कानूनी प्रावधानों की सीधी अवहेलना भी है। एक आवेदक को पिछली 30 मई से गोल गोल घुमा रहे है चाचा लेकिन शिक्षा विभाग मे पदस्त भतीजा नही कर रहा कार्य। पहले तहसील कार्यालय का कार्य करता था भतीजा लेकिन अब शिक्षा विभाग के सांथ तहसील कारवयालय का भी कर रहा कार्य।
कौन है जिम्मेदार?
विश्वसनीय सूत्रों के अनुसार, एक ही कर्मचारी शिक्षा विभाग में कार्यरत है, बावजूद इसके उसी कर्मचारी को तहसील कार्यालय में भी महत्वपूर्ण न्यायालयीन कार्यों की जिम्मेदारी दे दी गई है। शासन स्पष्ट रूप से कहता है कि एक शासकीय कर्मचारी दो विभागों में एक साथ कार्य नहीं कर सकता। इसके बावजूद यह कर्मचारी दोनों जगह सक्रिय है।
किस धारा का उल्लंघन?
1. छत्तीसगढ़ सिविल सेवा (आचरण) नियम, 1965 की धारा 3(1)(i) के अनुसार, "कोई भी कर्मचारी ऐसा कार्य नहीं करेगा जिससे शासन की छवि धूमिल हो।"
2. भारतीय दंड संहिता (IPC) की धारा 409 – सार्वजनिक सेवक द्वारा अपने पद का दुरुपयोग कर गोपनीय दस्तावेज बाहर ले जाना, आपराधिक विश्वासघात की श्रेणी में आता है।
3. सूचना प्रौद्योगिकी अधिनियम, 2000 की धारा 72 के अनुसार, यदि किसी व्यक्ति ने अधिकृत नहीं होने के बावजूद गोपनीय दस्तावेजों को एक्सेस या ट्रांसफर किया, तो यह गोपनीयता का उल्लंघन माना जाता है।
एक ही कर्मचारी पर भरोसा क्यों?
यह भी चिंताजनक है कि शिक्षा विभाग के एक कर्मचारी को ही तहसील कार्यालय के न्यायालयीन मामलों में भी कार्य सौंपा जा रहा है। यह न केवल प्रशासनिक पारदर्शिता पर सवाल खड़े करता है, बल्कि अन्य योग्य कर्मचारियों की उपेक्षा और भाई-भतीजावाद का संकेत देता है।
मांग: उच्च स्तरीय जांच हो
इस पूरे मामले में उच्चस्तरीय जांच कर संबंधित अधिकारियों की भूमिका स्पष्ट की जाए और दोषियों के विरुद्ध अनुशासनात्मक कार्रवाई की जाए। शासन को चाहिए कि वह अपने नियमों का कड़ाई से पालन कराए, जिससे आमजन का विश्वास प्रशासन पर बना रह सके।
0 टिप्पणियाँ