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तोमर बंधुओं के खिलाफ कार्रवाई कर रहे टीआई का ट्रांसफर, सियासी दखल और सौदेबाजी के आरोपों से गरमाया छत्तीसगढ़



रायपुर। छत्तीसगढ़ की राजधानी रायपुर में बहुचर्चित हिस्ट्रीशीटर सूदखोर तोमर बंधुओं के खिलाफ सख्त कार्रवाई करने वाले पुरानी बस्ती थाना प्रभारी योगेश कश्यप का अचानक ट्रांसफर कर दिया गया। लगातार दबिश और पांच एफआईआर दर्ज करने वाले कश्यप को कार्रवाई के बीच ही कवर्धा भेजे जाने से सियासी गलियारों में चर्चाओं का बाजार गरमा गया है। अब सवाल उठ रहे हैं कि आखिर तोमर बंधुओं के रसूख के आगे सरकार क्यों झुक गई?

सूदखोरी के जाल में फंसी थी गरीब जनता

बताया जा रहा है कि रायपुर में तोमर बंधु लंबे समय से सूदखोरी का धंधा कर रहे थे। भोले-भाले लोगों को मोटे ब्याज पर कर्ज देकर 5 लाख का 50 लाख और 10 लाख का 1 करोड़ 30 लाख तक वसूलते थे। कइयों ने तो प्रताड़ना से तंग आकर आत्महत्या तक कर ली। कई परिवार शहर छोड़ने पर मजबूर हुए।पुरानी बस्ती थाना प्रभारी योगेश कश्यप ने इस मामले में ताबड़तोड़ कार्रवाई करते हुए जून महीने में ही पांच केस दर्ज कर गिरफ्तारियां कीं। इससे रायपुर की जनता में उम्मीद जगी थी कि अब इन सूदखोरों और गुंडों पर लगाम कसेगी।सियासी खेल और रसूख का दबाव लेकिन कार्रवाई के ठीक बीच में योगेश कश्यप का ट्रांसफर कर दिया गया। सूत्रों के मुताबिक इस पूरे मामले में छत्तीसगढ़ सरकार के एक ताकतवर मंत्री, एक सीनियर आईपीएस अफसर और बीजेपी के एक प्रभावशाली नेता का नाम सामने आ रहा है। बताया जा रहा है कि लगभग 2 करोड़ रुपए का लेन-देन कर तोमर बंधुओं को बचाने की डील हुई है। बुलडोजर की कार्रवाई प्रभावित हुई है राजनीतिक दबाव के कारण पुलिस और नगर निगम ने ढिलाई बरतने का काम किया और तोमर बंधुओ को कोर्ट से स्टे आने में आसानी हो गई। सूत्र यह भी बता रहे हैं कि जिस बीजेपी नेता पर आरोप है, वह मीडिया का भी खास माना जाता है और तोमर बंधुओं की कई तस्वीरों में उनके साथ नजर आ चुका है। यही नेता कथित तौर पर मामले को कमजोर कराने और सरकार व पुलिस पर दबाव बनाने का काम कर रहा है।




जनता में नाराज़गी, बीजेपी पर सवाल

प्रदेश की जनता में इस घटनाक्रम के बाद नाराज़गी है। लोगों का कहना है कि जिस सरकार से उम्मीद थी कि वह प्रदेश को गुंडे-माफिया मुक्त करेगी, वही अब सूदखोरों और हिस्ट्रीशीटरों को बचा रही है। खासतौर पर गरीब तबके में बीजेपी सरकार के प्रति गुस्सा है, स्थानीय लोग यह भी कह रहे हैं कि ढाई साल बाद चुनाव हैं, तब यही गरीब जनता वोट देने आएगी और तब बीजेपी को इसका खामियाजा भुगतना पड़ेगा।

पुलिस ने निभाई ईमानदारी, सियासत ने डाला दखल

इस पूरे मामले में रायपुर एसपी उमेश सिंह और टीआई योगेश कश्यप की कार्रवाई की जनता तारीफ कर रही है। पुलिस की मंशा साफ थी कि सूदखोरों को सजा दिलाई जाए, लेकिन सियासी रसूख और लेन-देन के चलते कार्रवाई को कमजोर किया गया।

फिलहाल माहौल गर्म, आगे क्या होगा?

अब देखना यह है कि सरकार इस मामले में क्या रुख अपनाती है। क्या जनता की नाराज़गी और पुलिस की ईमानदार कोशिश के बावजूद सूदखोर तोमर बंधु कानून से बच निकलेंगे या फिर देर-सबेर उन्हें उनके किए की सजा मिलेगी।

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