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इंदिरा गांधी ने सत्ता बचाने के लिए संविधान की हत्या की - मंत्री लखनलाल देवांगन

संविधान की हत्या करना कांग्रेस की चरित्र- लखनलाल देवांगन


कोरिया। भाजपा ने आपातकाल के 50 वर्ष पूरे होने पर विश्राम गृह बैकुण्ठपुर में प्रेसवार्ता कर तत्कालीन प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी के द्वारा देश में आपातकाल घोषित किए पर विस्तार से विषय रखा। वाणिज्य, उद्योग एवं श्रम मंत्री लखनलाल देवांगन ने प्रेसवार्ता को संबोधित करते हुए कहा कि, 25 जून 1975 की आधी रात को तत्कालीन प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी ने आंतरिक अशांति का बहाना बनाकर भारत पर आपातकाल थोप दिया, यह निर्णय किसी युद्ध या विद्रोह के कारण नहीं, बल्कि अपने चुनाव को रद्द किए जाने और सत्ता बचाने की हताशा में लिया गया निर्णय था। कांग्रेस पार्टी ने इस काले अध्याय में न केवल लोकतांत्रिक संस्थाओं को रौंदा, बल्कि प्रेस की स्वतंत्रता, न्यायपालिका की निष्पक्षता और नागरिकों के मौलिक अधिकारों को कुचलकर यह स्पष्ट कर दिया कि, जब-जब उनकी सत्ता संकट में होती है वे संविधान और देश की आत्मा को ताक पर रखने से पीछे नहींे हटते। आज 50 वर्ष बाद भी कांग्रेस उसी मानसिकता के साथ चल रही है, आज भी सिर्फ तरीकों का बदलाव हुआ है, नीयत आज भी वैसी ही तानाशाही वाली है। उन्होंने कहा कि, इंदिरा गांधी ने मीसा जैसे काले कानूनों के जरिए एक लाख से अधिक नागरिकों को बिना किसी मुकदमें के जेलों में ठूस दिया, जिनमें श्री जयप्रकाश नारायण, श्री अटलबिहारी वाजपेयी, श्री लालकृष्ण आडवानी, श्री मुरली मनोहर जोशी और श्री राजनाथ सिंह सहित तमाम वरिष्ठ विपक्षी नेता, पत्रकार शामिल थे ही, लेकिन कांग्रेस शासन ने छात्रों तक को जेल में सड़ने पर मजबूर कर दिया था। इंदिरा गांधी की यही तानाशाही मानसिकता आज के कांग्रेस नेतृत्व में दिखाई देती है, आज भी कांग्रेस शासित राज्यों में पत्रकारों पर मुकदमें होते है, सोशल मीडिया पोस्ट पर गिरफ्तारी हो जाति है और एक्टिविस्टों पर पुलिस कार्यवाही होती है। 


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